पाकिस्तान की ओर से यह कदम मानवाधिकार की उस रिपोर्ट के आने के बाद उठाया गया है, जिसमें खुलासा हुआ था कि 2019 में विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और उनका जबरन धर्मांतरण जारी है.
पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि 2019 में पाकिस्तान का मानवाधिकार के मामलों में रिकॉर्ड ‘बेहद चिंताजनक’ रहा, जिसमें राजनीतिक विरोध के सुर पर व्यवस्थित तरीके से लगाम लगाने के साथ ही मीडिया की आवाज भी दबाई गई.
जनवरी 1952 में लाहौर में जन्मीं अस्मां ने ‘पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग’ की स्थापना की और उसकी अध्यक्षता भी संभाली. वे सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की अध्यक्ष भी रहीं.