श्रीनगर नगर निगम के महापौर समेत निर्वाचित सदस्यों ने आरोप लगाया है कि संयुक्त आयुक्त (योजना) गुलाम हसन मीर वास्तविक ग़रीब आवेदकों को छोड़कर सिर्फ़ अमीरों को ही भवन निर्माण की अनुमति दे रहे हैं. उन्होंने मांग की कि मीर ‘भ्रष्ट और अक्षम’ हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाए. इन लोगों ने गुजरात कैडर के निगम आयुक्त आमिर अथर ख़ान के ख़िलाफ़ भी नारेबाज़ी की और कहा कि वे वापस अपने राज्य चले जाएं.
आज जब समाज एक वैश्विक महामारी से गुज़र रहा है, तो नगर प्रतिनिधियों की इसमें कोई तय भूमिका नहीं दिखाई दे रही है. औपचारिक रणनीति में भी उनकी ज़िम्मेदारियां स्पष्ट नहीं हैं, नतीजतन शहरी प्रशासन के ढांचे का एक हिस्सा निष्क्रिय जान पड़ता है.
मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने ‘मध्य प्रदेश नगर पालिका विधि संशोधन अध्यादेश, 2019’ को मंज़ूरी दी, जिसके तहत अब नगरीय निकायों के महापौर व अध्यक्षों का चुनाव जनता नहीं करेगी. इसी कदम का अनुसरण राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों ने भी किया है.