दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के सिलसिले में राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव और मेधा पाटकर सहित 37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ नामज़द प्राथमिकी दर्ज की है. इन नामज़द नेताओं के विरुद्ध ‘लुक आउट’ नोटिस भी जारी किया है.
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर स्थित ग़ाज़ीपुर धरना स्थल के आसपास पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तादाद बढ़ाकर इसे छावनी में तब्दील कर दिया गया है. सुरक्षा बल दोपहर से ही यहां पर फ्लैग मार्च कर रहे हैं. इसके साथ ही धरनास्थल पर बिजली-पानी भी काट दिए गए हैं.
तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसान बागपत ज़िले के बड़ौत थाना क्षेत्र स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पिछले साल 19 दिसंबर से धरना दे रहे थे. किसानों का आरोप है कि पुलिस ने देर रात लाठी चार्ज कर उन्हें हटा दिया, जबकि पुलिस इससे इनकार कर रही है.
दिल्ली में ट्रैक्टर परेड से पहले उत्तर प्रदेश के सीतापुर ज़िले में कई किसानों को नोटिस जारी कर 50 हज़ार से लेकर 10 लाख तक का बॉन्ड भरने को कहा गया था. प्रशासन ने इस क़दम को सही ठहराते हुए कहा कि शांति बनाने के लिए ऐसा किया गया था.
न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिशन की ओर से कहा गया है कि ट्रैक्टर रैली को कवर करने वाले मीडियाकर्मी सूचना एकत्र करने और उन्हें जनता के लिए प्रसारित करने के अपने पेशेवर कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे. उनके ख़िलाफ़ बल और हिंसा का कोई भी उपयोग लोकतंत्र की आवाज़ और मीडिया की स्वतंत्रता का गला घोंटने के समान है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर कहा, ‘मुझे लगता है कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन, एकत्रित होने की स्वतंत्रता और अहिंसा का सम्मान करना आवश्यक है.’
किसानों का कहना है कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ उनका आंदोलन चलता रहेगा और 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर देश भर में जनसभाएं और भूख हड़ताल की जाएंगी. किसान नेताओं ने हिंसा के लिए पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू और पंजाब किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी को ज़िम्मेदार ठहराया है.
वीडियो: केंद्र के तीन नए कृषि क़ानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर मंगलवार को गणतंत्र दिवस के अवसर पर हज़ारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकाली थी. इस दौरान कई जगह किसानों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हुई और लाल क़िले पर सिखों का एक धार्मिक ध्वज लगा दिया था.
सोशल मीडिया पर कुछ लोगों का यह दावा है कि गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल क़िले पर पहुंचे प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तान का झंडा फहरा दिया था, हालांकि फैक्ट चेक में ग़लत पाया गया है.
गणतंत्र दिवस के मौके पर केंद्र के तीन कृषि क़ानूनों के विरोध में प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के संबंध में दिल्ली पुलिस ने योगेंद्र यादव समेत नौ किसान नेताओं के ख़िलाफ़ भी एफ़आईआर दर्ज की है और तक़रीबन 200 लोगों को हिरासत में लिया है. हिंसा के दौरान लगभग 300 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.
गणतंत्र दिवस के दिन निकाले गए ट्रैक्टर परेड के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर क्यों किसानों ने पुलिस द्वारा निर्धारित रास्ते पर परेड नहीं निकाला. हालांकि दिल्ली के कुछ इलाकों में देखा गया कि पुलिस ने इन रास्तों पर ही बैरिकेडिंग कर दी थी, जिसके चलते प्रदर्शनकारियों को रास्ता बदलना पड़ा.
युवक की पहचान 27 वर्षीय नवरीत सिंह के रूप में हुई है. नवरीत ऑस्ट्रलिया में स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे और हाल ही में भारत लौटे थे. वह उत्तर प्रदेश के रामपुर ज़िले के बिलासपुर तहसील के तहत आने वाले डिबडिबा गांव के रहने वाले थे.
किसानों की ट्रैक्टर परेड के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि वे हिंसा की अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा करते हैं और इसमें शामिल लोगों से ख़ुद को अलग करते हैं. इस बीच दिल्ली-एनसीआर के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवा को 12 घंटे के लिए बंद करने कर दिया गया है.
प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने सोमवार को घोषणा की कि वे एक फरवरी को केंद्रीय वार्षिक बजट के दिन विभिन्न स्थानों से संसद की तरफ कूच करेंगे. किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान तीनों नए कृषि क़ानूनों को रद्द करने की मांग पर अडिग हैं और इनके पूरे होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले दो महीने से आंदोलन कर रहे किसान पूर्व निर्धारित सारणी के अनुसार हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर लेकर राजधानी में प्रवेश कर चुके हैं. दिल्ली में घुसने के दौरान कई जगहों पर किसान और पुलिस के बीच संघर्ष देखने को मिला, जहां पुलिस ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले भी छोड़े.