सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट द्वारा जारी ‘भारत के पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट 2021’ के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में पलायन के लिहाज़ से भारत दुनिया का चौथा सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बन गया है. चीन, फिलीपींस और बांग्लादेश में पिछले साल सर्वाधिक पलायन हुआ. प्रत्येक देश में 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
एक्शन एड इंटरनेशनल और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम पर रोकने की राजनीतिक असफलता के कारण अकेले दक्षिण एशिया में बड़ी संख्या में विस्थापन होगा और यह क्षेत्र बाढ़, सूखा, तूफान, चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी आपदाओं से जूझेगा.
सहारनपुर के डिविज़नल कमिश्नर ने कहा कि लोग जिस रबर ट्यूब का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे पहले से ही ख़राब हालत में है और कभी भी फट सकते हैं. इससे नदी को पार करने का जोख़िम उठाने वालों की ज़िंदगी ख़तरे में पड़ सकती है.
मज़दूरों का ये जत्था हरियाणा के यमुनानगर से आ रहा था. आजीविका खो चुके इन मज़दूरों का कहना है कि जिस शेल्टर होम में ये रह रहे थे, वहां ख़राब खाने के साथ एक टाइम ही खाना मिल रहा था.
सोमवार को अहमदाबाद में घर लौटने की मांग को लेकर लगभग सौ मज़दूर सड़कों पर उतर आए और पथराव व तोड़-फोड़ की. इससे पहले रविवार को राजकोट में कामगारों ने गृह राज्य भेजने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें एसपी समेत तीन पुलिसकर्मी और एक पत्रकार घायल हुए हैं.
देश की राजधानी दिल्ली में दूसरे राज्यों से आए तमाम रिक्शा चालक लॉकडाउन के कारण फंस गए हैं, जिनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.
दिल्ली सरकार ने बिहार के 1200 प्रवासी मजदूरों की सूची बनाकर उनका किराया रेलवे को सौंप दिया और इसका पैसा सीधे बिहार सरकार से मांगा. हालांकि, बिहार सरकार ने दिल्ली सरकार द्वारा मांगे गए करीब 6.5 लाख रुपये को वापस करने से इनकार कर दिया है.
मज़दूरों के हित निजी संपत्ति के मालिकों के हितों पर ही निर्भर हैं. सरकार सामाजिक व्यवस्था भी उन्हीं के लिए कायम करती है. अंत में यही कहा जाएगा कि उसने रेल भी मज़दूरों के हित में रद्द की हैं, उन्हें रोज़गार देने के लिए!
केंद्र सरकार ने दावा किया है कि श्रमिक ट्रेनों के जरिये यात्रा करने वाले मजदूरों के किराये का 85 फीसदी खर्चा रेलवे उठा रहा है. हालांकि इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया गया है.
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के साथ बैठक में ये आशंका जताई गई कि यदि मजदूर वापस लौट जाएंगे तो राज्य का निर्माण कार्य प्रभावित होगा. इसके चलते राज्य सरकार ने मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाने वाली ट्रेनों को रद्द करने का फैसला लिया है.
मिज़ोरम भाजपा अध्यक्ष वनलालमुआका ने कहा है कि हमने केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से पूर्वोत्तर के फंसे लोगों के लिए विशेष ट्रेनें चलाने का अनुरोध किया है, जैसा कि सरकार ने अन्य राज्यों के लिए किया है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि बिहार आने वाले लोग जब 21 दिन बाद क्वारंटीन सेंटर से निकलेंगे तो उन्हें राज्य सरकार की ओर से न्यूनतम 1000 रुपये दिए जाएंगे जिसमें रेल का किराया और प्रशासन की ओर से अतिरिक्त मदद शामिल होगी.
लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में फंसे दिहाड़ी मजदूरों और प्रवासियों के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किये गए हैं. अपने राज्य लौटने के इच्छुक लोग इस पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
जहां से गाड़ी शुरू होगी वहां पर राज्य सरकार लोगों को फूड पैकेट्स और पानी मुहैया कराएगी. 12 घंटे से अधिक की यात्रा के लिए रेलवे ट्रेन में एक टाइम का भोजन प्रदान करेगा.
रेलवे ने शुक्रवार को छह श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की घोषणा की है. लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य लोगों की वापसी के लिए यह इंतज़ाम किया गया है.