भारतीय फिल्मों में कभी अल्पसंख्यकों को सही तरह से दिखाया ही नहीं गया: एमएस सथ्यू

साक्षात्कार: भारतीय उपमहाद्वीप के बंटवारे का जो असर समाज पर पड़ा, उसकी पीड़ा सिनेमा के परदे पर भी नज़र आई. एमएस सथ्यू की 'गर्म हवा' विभाजन पर बनी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है. इस फिल्म समेत सथ्यू से उनके विभिन्न अनुभवों पर द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ भाटिया की बातचीत.

ठाकरे फिल्म के ट्रेलर में दक्षिण भारतीयों के ख़िलाफ़ घृणा फैलाने का आरोप

फिल्म के ट्रेलर में नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी द्वारा बोले गए एक संवाद पर दक्षिण भारतीय फिल्म अभिनेता सिद्धार्थ ने जताई आपत्ति. सेंसर बोर्ड भी दक्षिण भारतीय लोगों से जुड़े दो डायलॉग और बाबरी मस्जिद से जुड़े एक डायलॉग पर जता चुका है आपत्ति.

सुनील दत्त: एक फिल्मी सितारे से कहीं बड़ी थी उनकी शख़्सियत

जब मुंबई में दंगे भड़के, तब सुनील दत्त ने अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोलते हुए संसद से इस्तीफ़ा दे दिया. उनका मानना था कि कांग्रेस ने हालात को सही से नहीं संभाला है और एक सांसद की हैसियत से वे कुछ नहीं कर पा रहे हैं.

बंबई दंगे: ज़ख़्म तो भर गए, लेकिन निशां अभी बाकी हैं

बाबरी विध्वंस के 25 साल: बाबरी विध्वंस के बाद छिड़े सांप्रदायिक दंगों की आंच बंबई तक भी पहुंची थी. लोगों का कहना है कि वे इससे आगे बढ़ चुके हैं पर मुस्लिमों पर हुए हमलों की हालिया घटनाएं उन्हें डराती हैं.