अपर्याप्त सबूतों के कारण प्रतिदिन बाल यौन उत्पीड़न के चार पीड़ित न्याय से वंचित: अध्ययन

कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन द्वारा के अध्ययन के अनुसार हर साल बाल यौन उत्पीड़न के क़रीब तीन हज़ार मामले सुनवाई के लिए अदालत नहीं पहुंच पाते क्योंकि पुलिस पर्याप्‍त सबूत न होने के कारण आरोपपत्र दायर करने से पहले ही जांच बंद कर देती है. इसमें 99 फीसदी मामले बच्चियों के यौन शोषण के ही होते हैं.

वर्ष 2013 से 2017 के बीच बाल विवाह के क़रीब 1,500 मामले सामने आए: सरकार

महिला एवं बाल कल्याण मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बाल विवाह से जुड़े पांच वर्षों का आंकड़ा प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार ऐसे मामलों की सर्वाधिक संख्या वर्ष 2017 में थी, जब 395 ऐसे विवाह हुए.