बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी नागरिक के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान के चलते सरकार ऐसे दुर्भावनापूर्ण क़दम नहीं उठा सकती है. कोर्ट ने कंगना रनौत के बयान को भी अस्वीकार किया और कहा कि उन्हें सार्वजनिक टिप्पणी करते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए. बीते नौ सितंबर को बीएमसी अभिनेत्री के बांद्रा स्थित बंगले में हुए ‘अवैध निर्माणों’ को ढहा दिया था.
कंगना रनौत के उकसावे वाले बयानों पर शिवसेना की प्रतिक्रिया उनकी ग़लत प्राथमिकताओं को दिखाती है.
आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी से पता चला था कि एक मार्च 2016 से लेकर आठ जुलाई 2019 के बीच बीएमसी को अवैध निर्माण की कुल 94,851 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, लेकिन उस समय तक इसमें से सिर्फ़ 5,461 मामलों में ही कार्रवाई की गई थी.
मई महीने में एक कोरोना संक्रमित महिला की नानावती अस्पताल में 13 दिनों तक भर्ती रहने के बाद मौत हो गई थी. इसके बिल को लेकर महिला के परिजनों की शिकायत के बाद बीएमसी ने अस्पताल के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करवाई है.
मुंबई के बांद्रा उपनगर के एक मुस्लिम कब्रिस्तान में कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति को दफनाने के बाद आसपास रहने वाले लोगों ने यहां कोरोना संक्रमण से जान गंवाने वाले लोगों के शव दफन करने पर रोक लगाने की मांग की थी.
दिल्ली के शाहीन बाग़ की तर्ज पर मुंबई के नागपाड़ा में सीएए और एनआरसी को लेकर बड़ी संख्या में महिलाएं प्रदर्शन कर रही हैं. इस बारे में बीएमसी ने अपनी शिकायत में कहा है कि प्रदर्शन के चलते यातायात बाधित हो रहा है और नगर निकाय द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य भी बाधित हो रहे हैं.
एक आरटीआई के जवाब में बीएमसी ने बताया कि मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले 'वर्षा' पर लगभग साढ़े सात लाख रुपये का पानी का बिल बकाया है, जिसके लिए उन्हें डिफॉल्टर घोषित किया गया है. डिफॉल्टरों की सूची में मुख्यमंत्री के अलावा पंकजा मुंडे, एकनाथ शिंदे, विनोद तावड़े जैसे बड़े नेताओं के नाम भी शामिल हैं.
पुणे पुलिस ने हिंसा भड़काने के आरोप में हिंदुवादी संगठनों के दो नेताओं के ख़िलाफ़ मामले दर्ज किए. मुंबई शहर में 100 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया.
मुंबई में एल्फिंस्टन रोड और परेल उपनगरीय रेलवे स्टेशनों को जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज पर हुए हादसे में 20 से ज़्यादा लोग घायल.
गैर सरकारी संगठन ‘प्रजा फाउंडेशन’ की रिपोर्ट, बीएमसी ने किया खंडन.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के स्कूलों में कुपोषण की शिकार बच्चों की संख्या सबसे ज़्यादा गोवंडी, ख़ार और कुर्ला में है.