वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी महीने की शुरुआत में बजट पेश करते हुए सरकार की विनिवेश योजना के तहत दो सरकारी बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा था. इसके ख़िलाफ़ नौ यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने 15 और 16 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया था.
सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण की सरकार की घोषणा के ख़िलाफ़ दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की ओर से किया गया है. निजी क्षेत्र के बैंक इस हड़ताल में शामिल नहीं हैं.
आरबीआई द्वारा गठित एक आंतरिक कार्य समूह ने पिछले सप्ताह सिफ़ारिश की थी कि कॉरपोरेट घरानों को बैंक शुरू करने का लाइसेंस दिया जा सकता है. रेटिंग एजेंसी एस एंड पी ने कहा है कि भारत में बड़ी कंपनियों के पिछले कुछ साल में क़र्ज़ लौटाने को लेकर चूक देखते हुए हमें बैंकों में कॉरपोरेट क्षेत्र को स्वामित्व देने की अनुमति को लेकर संदेह है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी हाथों में देने से समस्या ख़त्म हो जाएगी, ऐसा सोचना अज्ञानता के अलावा कुछ नहीं है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को आर्थिक संकट में उद्योगपतियों ने ही डाला है और कमाल की बात यह है कि निजीकरण के तहत इन बैंकों को एक तरह से उनके ही क़ब्ज़े में देने की बातें हो रही हैं.