राहुल गांधी की कांग्रेस को सिख दंगों से अलग करने की कोशिश वैसी ही है, जैसी मोदी ने विकास के नारे में गुजरात के दाग़ छुपाकर की थी.
कर्नाटक के विजयपुरा से भाजपा विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा, ‘केरल में लोगों ने खुले में गोवध किया. क्या हुआ? एक साल के भीतर इस तरह (बाढ़) की स्थिति उत्पन्न हो गई. जो भी हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाएगा, उसे इसी तरह का परिणाम भुगतना पड़ेगा.’
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा, लोकतंत्र खतरे में है. भाजपा ने साधा निशाना, अमर्त्य सेन जैसे बुद्धिजीवियों ने समाज को हमेशा गुमराह किया.
एंटी-नेशनल, भारत विरोधी जैसे शब्द आपातकाल के सत्ताधारियों की शब्दावली का हिस्सा थे. आज कोई और सत्ता में है और अपने आलोचकों को देश का दुश्मन बताते हुए इसी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है.
स्वराज अभियान संगठन के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में कोई मामला ले जाने से पहले सोचना पड़ता है क्योंकि ‘सर्वोच्च न्यायालय में भी बहुत भ्रष्टाचार है.’
अनिल अंबानी की रिलायंस समूह की कंपनियों ने दावा किया है कि अखबार में राफेल विमान सौदे को लेकर प्रकाशित एक लेख अपमानजनक है.
जन गण मन की बात की 294वीं कड़ी में विनोद दुआ नरेंद्र मोदी, टीना फैक्टर और भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ विपक्ष की एकजुटता पर चर्चा कर रहे हैं.
पुलिस के अनुसार, पत्नी से विवाद होने के बाद केंद्रीय मंत्री उमा भारती के निजी सुरक्षा अधिकारी ने ख़ुद को गोली मार ली. बीते 21 अगस्त को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर के पीए ने ख़ुदकुशी कर ली थी.
अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और कांग्रेस नेता करुणा शुक्ला ने कहा कि अटल की अंतिम यात्रा में पांच किलोमीटर चलने के बजाय अगर नरेंद्र मोदी उनके दिखाए गए मार्ग पर चलें तो देश के लिए अच्छा होगा.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल का आगाज़ भी भारत के कई हिस्सों में धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा से हुआ था.
जन गण मन की बात की 292वीं कड़ी में भाजपा की भय की राजनीति और केंद्र सरकार के दक्षिण भारत के प्रति सौतेले व्यवहार पर चर्चा कर रहे हैं.
इस दौर की ख़ूबसूरत सच्चाई यह है कि बेरोज़गार रोज़गार नहीं मांग रहा है. वो इतिहास का हिसाब कर रहा है. उसे नौकरी नहीं, झूठा इतिहास चाहिए!
वीडियो: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से अमित सिंह की बातचीत.
अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो सत्ता की सीमाओं और ज़िम्मेदारियों को समझते थे.
संपादकों का काम सत्ता के प्रचार के अनुकूल कंटेट को बनाए रखने का है और हालात ऐसे हैं कि सत्तानुकूल प्रचार की एक होड़ मची हुई है. धीरे-धीरे हालात ये भी हो चले हैं कि विज्ञापन से ज़्यादा तारीफ़ न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई दे जाती है.