आम चुनाव अब नज़दीक हैं, ऐसे में भाजपा के अंदर से ही उठ रहे दलित सांसदों के विरोध के स्वर पार्टी नेतृत्व के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं.
उत्तराखंड में शराब बेचने का लाइसेंस पाने के लिए पांच लाख रुपये फीस भरनी होगी और इसके लिए दुकान का सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये होना चाहिए.
वामदल, भाजपा और कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर उनके उम्मीदवारों को नामांकन दाख़िल नहीं करने देने और उनके साथ हिंसा करने का आरोप लगाया.
उत्तर प्रदेश के नगीना क्षेत्र से भाजपा के दलित सांसद डॉ. यशवंत सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि अदालतों में दलित समाज का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है, जिस कारण अदालतें उनके अधिकारों को ख़त्म कर रही हैं.
विपक्ष को गाली देने के जोश में अमित शाह को शेर रूप मोदी को उस पेड़ पर नहीं चढ़ाना चाहिए था, जहां दूसरे जानवर भी बैठे हैं. मोदी तो विकास के प्रतीक हुआ करते थे, विनाश के पर्याय कब बन गए?
बेबस व लाचार लोग बिना इलाज के दम तोड़ रहे हैं. ऐसे में अगर मेडिकल की पढ़ाई का रेट एक करोड़ कर देंगे तो जिस धन पशु के पास दौलत होगी, वही पैसा देकर अपनी संतान को डॉक्टर बनाएगा. जब पर्वतीय बच्चे डॉक्टर बनने के अधिकार से वंचित कर दिए जाएंगे तो दुर्गम क्षेत्रों में बिना डॉक्टरों के जिन अस्पतालों में ताले पड़े हैं, उनमें कौन झांकने जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी के 38वें स्थापना दिवस पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि भाजपा न तो आरक्षण को ख़त्म करेगी और न ही किसी को करने देगी.
इटावा से भाजपा सांसद अशोक दोहरे ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख आरोप लगाया है कि दो अप्रैल को हुए भारत बंद के बाद अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों पर अत्याचार हो रहा है.
अनुसूचित जाति मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के रॉबर्ट्सगंज से सांसद छोटेलाल खरवार ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री के साथ प्रदेश अध्यक्ष महेंद्रनाथ पांडेय और संगठन मंत्री सुनील बंसल की भी शिकायत की है.
उत्तर प्रदेश उपचुनाव में मुंह की खाने के बाद भाजपा को लगने लगा है कि साल 2019 में उसकी चुनावी वैतरणी विकास से नहीं बल्कि दंगे और उससे होने वाले मतों के ध्रुवीकरण से पार लगेगी.
जन गण मन की बात की 220वीं कड़ी में विनोद दुआ एससी-एसटी क़ानून में बदलाव के ख़िलाफ़ हुए भारत बंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर चर्चा कर रहे हैं.
साक्षात्कार: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन की ख़ास बातचीत.
2010 तक पीयूष गोयल एक डिफॉल्टर कंपनी शिरडी इंडस्ट्रीज़ के निदेशक थे, जिसने सरकारी बैंकों से लिया क़र्ज़ चुकाया नहीं, उल्टे एक अन्य कंपनी के ज़रिये गोयल की पत्नी की फर्म को 1.59 करोड़ रुपये का अनसिक्योर्ड लोन दिया.
यशपाल सक्सेना, अकरम हबीब और मौलाना रशीदी ने बदले की कार्रवाई के बजाय इंसाफ़ को तरजीह दी है.
नीतीश कुमार ने समझने में भूल कर दी कि इस बार उनका सामना पहले की तुलना में शक्तिशाली भाजपा से हुआ है. भाजपा बिहार के हालात का भरपूर फ़ायदा उठा रही है और नीतीश महज़ एक तमाशबीन बनकर रह गए हैं.