मध्य प्रदेश की कुल 29 लोकसभा सीटों में से 10 अनसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षित हैं. 2014 में भाजपा ने इन सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार उसकी हालत पतली है. इसलिए आरक्षित सीटों पर 75 फीसदी सांसदों के टिकट काट दिए हैं, जबकि अनारक्षित सीटों पर केवल 33 फीसदी ही टिकट काटे गए हैं.