दिल्ली की एक अदालत ने देश में कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र जारी सरकारी दिशानिर्देशों का कथित तौर पर पालन नहीं करते हुए तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए आरोपों का सामना कर रहे 36 विदेशी नागरिकों को पिछले साल दिसंबर में बरी कर दिया था.
दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए कई लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात सामने आने के बाद कई विदेशी नागरिकों पर लॉकडाउन और वीज़ा शर्तों के उल्लंघन के आरोप में मामले दर्ज किए गए थे.
दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि कई लोगों को अवैध तरीके से क्वारंटीन सेंटर में रखा गया है. कहा गया है कि क्वारंटीन के नाम पर लगातार हिरासत में रखना न्यायोचित नहीं है, यह केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है.
निज़ामुद्दीन मरकज़ में कोरोना संक्रमण मिलने के बाद तबलीग़ी जमात के क़रीब हज़ार लोगों को नरेला के एक सेंटर में क्वारंटीन किया गया था. देश के विभिन्न हिस्सों आए इन लोगों का कहना है कि अधिकतर लोगों की कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव होने और क्वारंटीन की तय अवधि पूरी होने के बावजूद उन्हें घर नहीं जाने दिया जा रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की इस रिपोर्ट का खंडन करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा है कि यह रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से न सिर्फ ग़लत है, बल्कि ऐसा लगता है कि पूरी तरह से असत्यापित स्रोतों और विशुद्ध रूप से कल्पना पर आधारित है.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान ने उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा कि क्वारंटाइन सेंटर में भोजन की अनियमित आपूर्ति की वजह से दोनों लोगों की मौत हुई है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अगर निज़ामुद्दीन मरकज़ ने लॉकडाउन के नियमों की अवहेलना की हो तो उसकी निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए. साथ में यह भी देखना चाहिए कहां-कहां ऐसी धार्मिक और सामाजिक गतिविधियां हुईं, जिसमें लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन हुआ.
दिल्ली में निज़ामुद्दीन पश्चिम इलाके के एक मरकज़ में 13 मार्च से 15 मार्च तक हुई धार्मिक सभा में भाग लेने वाले कुछ लोगों में कोरोना वायरस संक्रमण फैल गया है. सेना और दिल्ली पुलिस ने निज़ामुद्दीन पश्चिम में एक प्रमुख इलाके की घेराबंदी की. सभा में शामिल 153 लोग एलएनजेपी में भर्ती. राष्ट्रीय राजधानी में संक्रमण के मामले बढ़कर 97 हो गए हैं.