स्मृति शेष: देश में महिला और जेंडर संबंधी अध्ययन को बढ़ावा देने वालों में से एक चर्चित समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री के. शारदामणि नहीं रहीं. शारदामणि ने न केवल महिला अध्ययन केंद्रों की शुरुआत करने में अहम भूमिका निभाई थी, बल्कि इंडियन एसोसिएशन फॉर विमेंस स्टडीज़ की स्थापना में भी योगदान दिया.
उच्च न्यायालयों में महिला जजों की नियुक्ति संबंधी याचिका की सुनवाई के दौरान सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि केवल हाईकोर्ट में ही क्यों, समय आ गया है जब भारत की प्रधान न्यायाधीश महिला होनी चाहिए. तीन जजों की पीठ ने यह भी कहा कि कॉलेजियम ने हर बैठक उच्च न्यायपालिका में महिलाओं की नियुक्ति पर विचार किया है.
सुप्रीम कोर्ट महिला वकील संघ ने वकील स्नेहा कलीता के ज़रिये दायर याचिका में न्यायपालिका में महिलाओं की उचित भागीदारी की मांग की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के बीते 71 सालों के कामकाज में 247 जजों में से सिर्फ आठ महिलाएं थीं. मौजूदा समय में जस्टिस इंदिरा बनर्जी सुप्रीम कोर्ट की एकमात्र महिला जज हैं.
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने वाली संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ‘यूएन वुमेन’ की प्रमुख फुमजिले म्लाम्बो नगकुका ने कहा कि महिलाओं को संघर्षों को समाप्त करने के लिए होने वाली वार्ताओं से अब भी सोच-समझकर बाहर रखा जाता है और इन वार्ताओं में पुरुष उनके जीवन को प्रभावित करने वाले फैसले लेते हैं.
पिछले छह साल में रोजगार की तलाश करने वाली ग्रामीण महिलाओं की संख्या में आई 2.8 करोड़ की गिरावट समेत आज की बड़ी ख़बरें. दिनभर की महत्वपूर्ण ख़बरों का अपडेट.
साल 2004-05 से अब तक पांच करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाएं राष्ट्रीय बाजार की नौकरियां छोड़ चुकी हैं. ये आंकड़े एनएसएसओ की पीरियाडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) 2017-18 की रिपोर्ट पर आधारित हैं जिन्हें जारी करने पर मोदी सरकार ने रोक लगा दी है.
दिल्ली में हुए एक कॉन्फ्रेंस में निर्माण कार्य, इलेक्ट्रिशियन, मोटर मैकेनिक, पशु चिकित्सक और कैब ड्राइवर जैसे पुरुष वर्चस्व वाले क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए.