बीआरडी मेडिकल कॉलेज में साल 2017 में छह महीनों में 1,201 बच्चों की मौत हुई थी. दोनों वर्ष के आंकड़ों से पता चलता है कि नियोनेटल डेथ में कमी आई है जबकि इंसेफलाइटिस से बच्चों की मौत बढ़ गई है.
जब मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की ख़बरें छप रही थीं, उसी दौरान मुख्यमंत्री, कमिश्नर, डीएम, चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य सचिव सबका दौरा हुआ. क्या बड़े लोगों को बचाया जा रहा है?
67 बच्चों की मौत के मामले में उच्च स्तरीय समिति ने की थी आपराधिक कार्रवाई की सिफ़ारिश.