रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एमके जैन ने बैंकों को सुझाव दिया है कि वे मुद्रा लोन देते समय दस्तावेज़ों की जांच-परख के स्तर पर क़र्ज़ किस्त के भुगतान की क्षमता पर भी गौर करें और इस तरह के क़र्ज़ का उनकी पूरी अवधि तक निगरानी करें.
मुद्रा योजना पर केंद्रीय श्रम मंत्रालय की सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि इस योजना के तहत जितने अतिरिक्त रोजगार पैदा हुए उसमें आधे से भी ज्यादा स्व-रोजगार थे.
आरटीआई के तहत प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक मुद्रा योजना के तहत कुल 30.57 लाख खातों का 16,481.45 करोड़ रुपये एनपीए घोषित किया गया है.
उन 35 लाख लोगों को प्रधानमंत्री सपने में आते होंगे, जिनके एक सनक भरे फैसले के कारण नौकरियां चली गईं. नोटबंदी से दर-ब-दर हुए इन लोगों तक सपनों की सप्लाई कम न हो इसलिए विज्ञापनों में हज़ारों करोड़ फूंके जा रहे हैं. मोदी सरकार ने साढ़े चार साल में करीब 5000 करोड़ रुपये इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट के विज्ञापनों पर ख़र्च किए हैं.