घटना जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की है. महिला का कहना है कि वह गर्भवती थीं और अचानक शुरू हुई ब्लीडिंग के बाद अस्पताल पहुंची थीं, जहां फर्श पर ख़ून गिर जाने पर स्टाफ ने मारपीट की. इसके बाद वह एक निजी अस्पताल गईं, जहां बताया गया कि गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई है.
वीडियो: द वायर द्वारा आरटीआई के तहत प्राप्त किए गए दस्तावेज़ों से पता चलता है कि कानून मंत्रालय ने तीन तलाक़ बिल पर किसी भी मंत्रालय या विभाग से विचार-विमर्श नहीं किया था. इसके लिए मंत्रालय ने दलील दी थी कि तीन तलाक़ की अनुचित प्रथा को रोकने की जल्द ज़रूरत है, इसलिए संबंधित मंत्रालयों से परामर्श नहीं लिया गया.
विशेष रिपोर्ट: आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेज़ों से पता चलता है कि मंत्रालय ने दलील दी थी कि तीन तलाक़ की अनुचित प्रथा को रोकने की अति-आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए संबंधित मंत्रालयों से परामर्श नहीं लिया गया.
उत्तर प्रदेश में तीन तलाक़ के सबसे ज़्यादा 26 केस मेरठ में दर्ज हुए हैं. इसके बाद सहारनपुर में 17 और शामली में 10 केस दर्ज किए गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीन तलाक़ के 10 केस सामने आए हैं.
याचिकाओं में तीन तलाक कानून को असंवैधानिक करार देने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि इससे संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन तलाक़ हो रहे थे, इसलिए जब तक समाज और ग़लत काम कर रहे मर्दों के दिमाग में क़ानून का डर नहीं आएगा, तब तक तीन तलाक़ के ख़िलाफ़ चल रही मुहिम का कोई नतीजा नहीं निकलेगा.
सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में दायर इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) कानून मुस्लिम पतियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.
तीन तलाक़ का यह क़ानून 21 फरवरी को इस संबंध में लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा. विधेयक में पत्नी को तीन तलाक़ के ज़रिये छोड़ने वाले मुस्लिम पुरुषों के लिए तीन साल तक की जेल और जुर्माने का प्रावधान है.
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि जिस तरीके से विधेयक पारित हो रहे हैं, वह संसद का मज़ाक बनाना है और सरकार द्वारा विपक्ष की आवाज़ दबाना है.
संसद ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक़ देने की प्रथा पर रोक लगाने के प्रावधान वाले एक ऐतिहासिक विधेयक को मंगलवार को मंज़ूरी दे दी. विधेयक में तीन तलाक़ का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, अगर कोई मुस्लिम पति अपनी पत्नी को मौखिक, लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप से या किसी अन्य विधि से तीन तलाक़ देता है तो यह अवैध होगा. तीन तलाक़ का अपराध सिद्ध होने पर पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है.
विपक्षी दलों ने विधेयक के कई प्रावधानों पर आपत्ति जताई और उन्हें असंवैधानिक बताया और दावा किया कि इसका वास्तविक उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं का सशक्तिकरण नहीं करना है बल्कि मुस्लिम पुरुषों को दंडित करना है.
भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अनुसार दो 'तीन तलाक प्रमुख' की नियुक्ति हो चुकी है. जो महिलाएं शरीयत और कानून की ठोस जानकारी रखती हैं और तीन तलाक से पीड़ित औरतों के जीवन में सामाजिक बदलाव ला सकती हैं, उन्हें इस काम के लिए चुना जाएगा.
केंद्र की सत्तारूढ़ मोदी सरकार तीन तलाक़ बिल को हाल ही ख़त्म हुए मानसून सत्र में संसद से पारित कराने में असफल रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को हलाला और बहु विवाह के मामले में जल्द जवाब दाख़िल करने का निर्देश दिया है. मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक समीना बेगम की ओर से पेश अधिवक्ता शेखर और अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि उनकी मुवक्किल को धमकी दी जा रही है.