जौनपुर के किसानों का सवाल, मोदी ने 2000 रुपये देकर वापस क्यों ले लिया

ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में जौनपुर ज़िले के कई किसानों ने बताया कि पीएम किसान योजना के तहत उनके खाते में 2000 रुपये आए थे लेकिन कुछ घंटे बाद या अगले ही दिन वो पैसे वापस कर लिए गए. किसानों ने कहा कि उन्होंने इस बात को लेकर संबंधित अधिकारियों से शिकायत की थी लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

चुनाव आयोग ने अपने अधिकारियों के फैसले को पलटा, नरेंद्र मोदी को दूसरी बार क्लीनचिट दी

महाराष्ट्र के लातूर में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार मतदान करने वालों से कहा था कि क्या आपका पहला वोट पुलवामा के शहीदों को समर्पित हो सकता है? इस बयान को लेकर चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी.

बड़ी संख्या में सरकारी नौकरी पैदा करना मुश्किल: भाजपा प्रवक्ता

भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि भारत में नए रोज़गार चाहने वालों की संख्या बहुत अधिक है. इतनी बड़ी संख्या में युवाओं को नई सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती. इसीलिए हमारा ज़ोर उद्यमिता और स्व-रोज़गार पर है.

वन-मैन शो वाली सरकार चलाने वाले मोदी के लिए मुश्किल होगी गठबंधन की राह

अगर भाजपा पिछली बार जीती गई 282 सीटों से कम सीटें पाती है, तो पार्टी को सहयोगियों की ज़रूरत होगी. समीकरण जैसे भी बनें, यह निश्चित है कि अगली सरकार गठबंधन की या खिचड़ी सरकार होगी, जिसे मोदी बिल्कुल पसंद नहीं करते.

इस चुनाव में मुसलमानों के लिए क्या है?

आज भारतीय राजनीति एक ऐसे दौर में है जब कोई भी राजनीतिक पार्टी मुस्लिम समुदाय की बात नहीं करना चाहती. वे राजनीतिक रूप से अछूत बना दिए गए हैं. अब उनका इस्तेमाल बहुसंख्यक आबादी को वोट बैंक में तब्दील करने के लिए किया जा रहा है.

कृषि कल्याण सेस ख़त्म करने के बाद भी सरकार ने वसूला 1300 करोड़ रुपये से ज़्यादा का टैक्स

द वायर एक्सक्लूसिव: एक जुलाई, 2017 को कृषि कल्याण सेस ख़त्म कर दिया गया था, लेकिन आरटीआई से मिली जानकारी बताती है कि जनता से अब भी यह टैक्स वसूला जा रहा है.

पीएम किसान योजना के तहत हज़ारों किसानों के खाते में डाले गए पैसे वापस लिए गए

द वायर एक्सक्लूसिव: आरटीआई के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूको बैंक, सिंडिकेट बैंक, केनरा बैंक, यूनियन बैंक जैसे राष्ट्रीयकृत बैंकों ने स्वीकार किया है कि किसानों के खातों में डाले गए करोड़ों रुपये वापस ले लिए गए हैं.

आख़िर क्यों मनरेगा मज़दूरों को नहीं मिलती उचित मज़दूरी?

देश में दूसरे रोज़गारों की उपलब्धता इतनी कम है कि ग्रामीणों को मजबूरन मनरेगा में काम करना पड़ रहा है. इस स्थिति में यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मनरेगा में कार्यरत ग्रामीण बंधुआ मज़दूर बन गए हैं. उनके लिए न तो एक सम्मानजनक मानदेय है और न ही समय पर मज़दूरी मिलने की कोई उम्मीद.

टाटा समूह का चुनावी चंदा 25 करोड़ से 500 करोड़ हुआ, किसे चंदा दे रहे हैं औद्योगिक घराने?

देश के ग़रीब प्रधानमंत्री ने चुनावी ख़र्चे का इतिहास ही बदल दिया है, इसलिए कॉरपोरेट को भी ज्यादा चंदा देना होगा. कॉरपोरेट नहीं बताना चाहते हैं कि वे किसे और कितना चंदा दे रहे हैं. उनकी सुविधा के लिए प्रधानमंत्री ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का चतुर क़ानून बनाया और बड़ी आसानी से जनता को बेच दिया कि चुनावी प्रक्रिया को क्लीन किया जा रहा है.

चुनावी मौसम में मज़दूर राजनीतिक विमर्श से ग़ायब क्यों हैं?

किसी भी राष्ट्र के लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या होगा जहां करोड़ों मज़दूरों की दुर्दशा राष्ट्रीय चेतना और राजनीतिक विमर्श का हिस्सा ही नहीं है.

बीते पांच साल में मंत्रियों के बंगलों और कार्यालयों के नवीनीकरण पर 100 करोड़ रुपये ख़र्च

एक आरटीआई के जवाब में मिली जानकारी के अनुसार बीते पांच साल में मंत्रियों के बंगलों और कार्यालयों के रेनोवेशन पर 93.69 करोड़ रुपये, जबकि सजावट पर 8.11 करोड़ रुपये ख़र्च हुए.

कश्मीर: नेशनल हाईवे पर नागरिक यातायात प्रतिबंधित, अदालत ने केंद्र-राज्य से जवाब मांगा

पुलवामा हमले के बाद बीते तीन अप्रैल को जम्मू कश्मीर सरकार ने लोकसभा चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों की आवाजाही के मद्देनज़र हफ्ते में दो दिन राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर नागरिक यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया है. सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल याचिका में कहा गया है कि ऐसा क़दम कारगिल युद्ध के समय भी नहीं उठाया गया था.

सबूत मांगने वाले विपक्षी नेताओं को रॉकेट में बांधकर बालाकोट भेज देना चाहिए था: देवेंद्र फड़णवीस

पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गले पर बम बांधकर उन्हें किसी दूसरे देश भेज देना चाहिए. इस दौरान वहां फड़णवीस और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मौजूद थे.

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की संपत्तियां बेचने की तैयारी में केंद्र सरकार

वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को अपनी गैर-प्रमुख संपत्तियों की सूची तैयार करने को कहा है. सरकार ने इसके लिए एयर इंडिया, पवन हंस, स्कूटर्स इंडिया और सेल जैसी 35 सार्वजनिक कंपनियों की पहचान की है. सूची तैयार करने में असफल कंपनियों का बजटीय आवंटन रोका जा सकता है.

जिस गांव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोद लिया था क्या वह ‘आदर्श’ बन पाया?

ग्राउंड रिपोर्ट: साल 2014 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी ने ज़िले के जयापुर गांव को आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लिया था.

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