विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया कि भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के पाकिस्तान के प्रयास को विफल कर दिया गया. एक पाकिस्तानी लड़ाकू विमान को मार गिराया गया. पाकिस्तान ने दो भारतीय विमानों को मार गिराने का दावा किया.
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के आधिकारिक बयान में कहा गया कि बुधवार को पाकिस्तानी वायुसेना ने पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र में रहते हुए नियंत्रण रेखा के पार हमला किया जिसका मक़सद अपने हक़ और आत्मरक्षा की क्षमता को दिखाना था.
भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा ने कहा कि यह हमला कोई सैन्य कार्रवाई नहीं था बल्कि ऐहतियातन उठाया गया कदम था, जिसका मकसद आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था. इस आतंकी शिविर का चयन यह ध्यान में रखते हुए किया गया था कि आम नागरिकों को कोई नुकसान न पहुंचे.
सैन्य अधिकारियों की बेटियों की ओर से दाख़िल याचिका में कहा गया है कि पथराव करने वालों के ख़िलाफ़ आत्मरक्षा के लिए की गई जवानों की कार्रवाई पर भी मामले दर्ज किए जा रहे हैं. इस तरह की घटनाओं को लेकर वे परेशान हैं.
एक फरवरी को दुर्घटनाग्रस्त हुए मिराज-2000 विमान में स्क्वाड्रन लीडर समीर अबरोल और स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ नेगी की मौत हो गई थी. एक याचिका में दुर्घटना की जांच के लिए शीर्ष अदालत की निगरानी में समिति बनाने की मांग की गई थी.
दासो एविएशन से रफाल लेते समय एक ख़रीददार के बतौर भारत काफ़ी मज़बूत स्थिति में था, लेकिन फिर भी कई मुद्दों पर रक्षा खरीद प्रक्रिया 2013 का उल्लंघन करते हुए रियायतें दी गईं.
जम्मू कश्मीर के राजौरी ज़िले के नौशरा सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास हुई घटना में एक सैनिक घायल. बीते 14 फरवरी को जम्मू कश्मीर में सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमले में 40 जवानों की मौत हो गई थी.
मोदी सरकार द्वारा किए गए सौदे के तहत गारंटी संबंधी प्रावधानों पर चिंता व्यक्त करते हुए कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि क़रार के भंग होने की स्थिति में भारत को पहले पंचाट या मध्यस्थता के ज़रिये सीधे तौर पर विमान के फ्रांसीसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ मामले को सुलझाना पड़ेगा.
बुधवार को संसद में रफाल पर अपनी रिपोर्ट पेश कर कैग ने दावा किया कि या रफाल सौदा यूपीए की डील के मुकाबले 2.86 प्रतिशत सस्ता है. हालांकि कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल कैग रिपोर्ट की आलोचना कर रहे हैं.
मीडिया बोल की 85वीं कड़ी में उर्मिलेश रफाल विवाद और मायावती बनाम मीडिया पर कॉमन कॉज़ के निदेशक विपुल मुद्गल, पत्रकार स्मिता गुप्ता और अजय आशीर्वाद से चर्चा कर रहे हैं.
रफाल को लेकर मोदी सरकार का दावा है कि नई डील यूपीए सरकार से बेहतर है और इसकी वजह से भारत को विमान जल्दी मिल जाएंगे. हालांकि रक्षा मंत्रालय के तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकार के इन दावों पर सहमति नहीं जताई थी.
भारतीय रक्षा पूंजी खरीद की बातचीत में किसी ‘शेरपा’(दूत) की मदद की व्यवस्था छोड़िए, कोई कल्पना भी नहीं की गई है. न ही अंतरसरकारी समझौतों के मामलों में उनकी कोई भूमिका ही सुनिश्चित की गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2015 में रफाल सौदे से महज़ 15 दिन पहले अनिल अंबानी फ्रांस के रक्षामंत्री और उनके सलाहकारों से मिले थे. कांग्रेस ने सरकार पर गोपनीयता क़ानून के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कहा, 'रक्षा मंत्री और विदेश सचिव नहीं जानते थे लेकिन अंबानी को पता था कि सौदा होने वाला है.’
क्या आपने रक्षा ख़रीद की ऐसी कोई डील सुनी है जिसकी शर्तों में से किसी एजेंसी या एजेंट से कमीशन लेने या अनावश्यक प्रभाव डालने पर सज़ा के प्रावधान को हटा दिया जाए? मोदी सरकार की कथित रूप से सबसे पारदर्शी डील में ऐसा ही किया गया है.
रफाल सौदा 2013 की मानक रक्षा ख़रीद प्रक्रिया (डीपीपी) के तहत किया गया था जिसमें भ्रष्टाचार को लेकर जुर्माने संबंधी सख़्त प्रावधान किए गए थे. 'द हिंदू' की रिपोर्ट में सामने आया है कि प्रत्येक रक्षा ख़रीद में लागू होने वाले इन प्रावधानों को मोदी सरकार द्वारा सितंबर 2016 में इस सौदे से हटा दिया गया.