मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि म्यांमार के पश्चिम रखाइन प्रांत में 24 शिविरों में अमानवीय स्थिति है और यह रोहिंग्याओं के जीवन के अधिकार एवं अन्य मूलभूत अधिकारों के लिए ख़तरा है. रिपोर्ट में इन शिविरों को खुली जेल बताया गया है.
असम में अब तक बाढ़ और भूस्खलन से 115 लोगों की जान जा चुकी है. एएसडीएमए ने कहा कि इस समय राज्य में 2,525 गांव जलमग्न हैं और पूरे असम में एक लाख हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन पर खड़ी फसल बर्बाद हो गई है.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि 18 ज़िलों में 521 राहत शिविरों संचालन किया जा रहा है, जहां 50,559 लोगों ने शरण ली है. प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से हालात का जायज़ा लिया.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि राज्य के 3,376 गांव पानी में डूबे हुए हैं और 127,647.25 हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई है. राज्य के 23 ज़िलों में बने 629 राहत शिविरों में 36,320 लोग शरण लिए हुए हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, राज्य के 15 ज़िलों में बनाए गए 254 राहत शिविरों में तक़रीबन 15,289 लोग शरण लिए हुए हैं. 2,197 गांव जलमग्न हैं और क़रीब 87,018.17 हेक्टेयर क्षेत्र की फसल बर्बाद हो गई है.
असम के बरपेटा, दक्षिण सालमारा और नलबाड़ी ज़िले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. तक़रीबन 27,500 लोग 12 ज़िलों के 273 राहत शिविरों में रह रहे हैं.
असम में बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित ज़िला धेमाजी है और इसके बाद तिनसुकिया, नलबाड़ी ज़िला भी बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. धेमाजी ज़िले 259 गांवों के 99,116 लोग प्रभावित हैं.
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया है कि बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित धेमाजी ज़िला है. यहां तक़रीबन 91,000 लोग प्रभावित हुए हैं.
असम की बराक घाटी स्थित हैलाकांडी, करीमगंज और सिलचर ज़िलों में हुआ भूस्खलन. लगातार बारिश की वजह से असम के कई ज़िले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं.
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक गोआलपाड़ा बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित ज़िला है, जहां से दो लाख से अधिक लोगों को विस्थापित किया गया है. दीमा हजाओ ज़िले में तीन गांवों में भूस्खलन ने 18 घर नष्ट हुए हैं, अन्य जगहों पर तीन पुल बह गए और करीब 240 किमी सड़कें क्षतिग्रस्त, अवरुद्ध या जलमग्न हैं.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से दी गई सूचना के अनुसार, लगभग 21,064 राहत शिविरों में 23 लाख से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है.