सरकार ने रिज़र्व बैंक से 3.6 लाख करोड़ रुपये नहीं मांगे: आर्थिक विभाग के सचिव

वित्त मंत्रालय में आर्थिक विभाग के सचिव ने कहा कि मीडिया में ग़लत जानकारी वाली तमाम अटकलबाज़ियां जारी हैं. सरकार का राजकोषीय हिसाब-किताब बिल्कुल सही चल रहा है.

आरबीआई और वित्त मंत्रालय को मतभेद दूर कर राष्ट्रहित में मिलकर काम करना चाहिए: पनगढ़िया

नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने आरबीआई और वित्त मंत्रालय के बीच जारी गतिरोध पर कहा कि आरबीआई को अमेरिका के फेडरल रिज़र्व बैंक की तरह स्वतंत्रता नहीं है.

सरकार के लिए कार की सीट बेल्ट की तरह है रिज़र्व बैंक, स्वायत्तता का सम्मान ज़रूरी: रघुराम राजन

रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर राजन ने कहा कि सरकार अगर आरबीआई पर लचीला रुख़ अपनाने का दबाव डाल रही हो तो केंद्रीय बैंक के पास ‘ना’ कहने की आज़ादी है.

आरबीआई बनाम सरकार: मोदी सरकार ने मांगे थे 3.6 लाख करोड़ रुपये, आरबीआई ने ठुकराया

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने भारतीय रिज़र्व बैंक की कुल पूंजी 9.59 लाख करोड़ रुपये का तकरीबन एक तिहाई हिस्सा मांगा था.

क्या रिज़र्व बैंक के रिज़र्व पर सरकार की नज़र है?

एनडीटीवी की वेबसाइट पर मिहिर शर्मा ने लिखा है कि रिजर्व बैंक अपने मुनाफे से हर साल सरकार को 50 से 60 हज़ार करोड़ रुपये देती है. उसके पास साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक का रिज़र्व है. सरकार चाहती है कि इस रिज़र्व से पैसा दे ताकि वह चुनावों में जनता के बीच गुलछर्रे उड़ा सके.

बड़े उद्योगपतियों की मदद के लिए आरबीआई पर मोदी सरकार का हमला घातक साबित होगा

बेस्ट ऑफ 2018: आरबीआई अधिनियम की धारा 7 का इस्तेमाल जनहित में नहीं है- यह मौके की फ़िराक़ में बैठे कॉरपोरेट्स को आरबीआई द्वारा पैसा देने के लिए मजबूर करने के इरादे से उठाया गया एक बेशर्मी भरा कदम है.

भाजपा सांसदों ने जीडीपी गणना पद्धति पर सवाल उठाने वाली मुरली मनोहर जोशी की रिपोर्ट रोकी

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की अगुवाई में पार्टी के अन्य सदस्यों ने वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी का विरोध किया.

मोदी राज की मेहरबानी- अमीरों के 3 लाख करोड़ लोन माफ़ हुए, मंत्री ने ट्वीट तक नहीं किया

मोदी सरकार के चार सालों में 21 सरकारी बैंको ने 3 लाख 16 हज़ार करोड़ के लोन माफ़ किए हैं. यह भारत के स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के कुल बजट का दोगुना है. सख़्त और ईमानदार होने का दावा करने वाली मोदी सरकार में तो लोन वसूली ज़्यादा होनी चाहिए थी, मगर हुआ उल्टा. एक तरफ एनपीए बढ़ता गया और दूसरी तरफ लोन वसूली घटती गई.

बड़े नेताओं की अध्यक्षता वाले सहकारी बैंकों में नोटबंदी के बाद जमा हुई सबसे अधिक राशि

नाबार्ड द्वारा एक आरटीआई में दी गई जानकारी के अनुसार नोटबंदी के दौरान 10 जिला सहकारी बैंकों में सबसे ज़्यादा नोट बदले गए, उनके अध्यक्ष भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के नेता हैं.

2016 में कुल कृषि ऋण का 18 फी​सदी हिस्सा सिर्फ 0.15 प्रतिशत खातों में डाला गया

विशेष रिपोर्ट: द वायर द्वारा दायर की गई आरटीआई से ये जानकारी सामने आई है कि साल 2016 में सरकारी बैंकों द्वारा 78,322 खातों में, जोकि कृषि लोन पाने वाले कुल खातों का 0.15 फीसदी है, एक लाख 23 हज़ार करोड़ (12,34,81,89,70,000) रुपये डाले गए थे. ये राशि कुल दिए गए कृषि लोन का 18.10 फीसदी है.

मीडिया बोल, एपिसोड 65: नोटबंदी, नज़रबंदी और मीडिया

मीडिया बोल की 65वीं कड़ी में उर्मिलेश नोटबंदी पर रिज़र्व बैंक की रिपोर्ट, सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी और मीडिया पर सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार शीतल प्रसाद सिंह और द वायर के संस्थापक संपादक एमके वेणु से चर्चा कर रहे हैं.

नोटबंदी: न ख़ुदा ही मिला न विसाल ए सनम

सरकार का कहना था कि बंद किए गए नोटों में से लगभग 3 लाख करोड़ मूल्य के नोट बैंकों में वापस नहीं आएंगे और यह काले धन पर कड़ा प्रहार होगा, लेकिन रिज़र्व बैंक मुताबिक अब नोटबंदी के बाद जमा हुए नोटों का प्रतिशत 99 के पार पहुंच गया है. यानी या तो इन नोटों में कोई काला धन था ही नहीं या उसके होने के बावजूद सरकार उसे निकालने में विफल रही.

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