'द हिंदू' अख़बार ने दावा किया है कि फ्रांस सरकार के साथ रफाल समझौते को लेकर रक्षा मंत्रालय के साथ-साथ पीएमओ भी समानांतर बातचीत कर रहा था. द वायर द्वारा भी इस साल जनवरी में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि रक्षा मंत्रालय के रफाल करार की शर्तों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय समझौता कर रहा था.
कांग्रेस ने भाजपा नेता और गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत पी. राणे के साथ एक अज्ञात व्यक्ति की बातचीत की रिकॉर्डिंग जारी की है. इसमें कथित रूप से राणे एक व्यक्ति को बता रहे हैं कि राफेल से संबंधित दस्तावेज़ मनोहर पर्रिकर के बेडरूम में हैं.
सरकारी फाइलों में दर्ज है कि दिसंबर 2015 में जब समझौता वार्ता नाजुक मोड़ पर थी, उस समय प्रधानमंत्री कार्यालय ने हस्तक्षेप किया था.
सार्वजनिक क्षेत्र की हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के प्रमुख आर.माधवन ने कहा कि राफेल सौदे की शुरुआत में एचएएल राफेल विमान बनाने में सक्षम थी लेकिन मौजूदा सरकार 36 विमानों की डिलीवरी जल्द से जल्द चाहती थी, जो भारत में बनाना संभव नहीं था.
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के अध्यक्ष ने कहा कि जैसा कि राफेल सौदे में सरकार सीधे शामिल थी इसलिए हम विमान की कीमत और नीतियों पर टिप्पणी नहीं कर सकते.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं, जिन्होंने 36 लड़ाकू विमानों की ख़रीद में अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया.
फ्रांस की इनवेस्टिगेटिव वेबसाइट 'मीडियापार्ट' ने डास्सो एविएशन के दस्तावेज़ के हवाले से बताया है कि राफेल का अनुबंध हासिल करने के लिए डास्सो का अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस से पार्टनरशिप करना 'अनिवार्य' था. इस रिपोर्ट के बाद डास्सो ने सफाई दी है कि उसने बिना किसी दबाव के रिलायंस को चुना था.
अपनी व्यक्तिगत ईमानदारी का हवाला देकर प्रधानमंत्री मोदी बड़े पूंजीपतियों से अपने करीबी रिश्तों को लेकर हो रही आलोचना को नहीं टाल सकते.
जन गण मन की बात की 198वीं कड़ी में नीरव मोदी द्वारा अपनी सफ़ाई में लिखी गई चिट्ठी और राफेल डील पर चर्चा कर रहे हैं.
जन गण मन की बात की 194वीं कड़ी में विनोद दुआ संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण और राफेल सौदे पर चर्चा कर रहे हैं.
दो हफ़्ते पुरानी कंपनी को हज़ारों करोड़ रुपये का डिफेंस डील मिल जाए ये सिर्फ और सिर्फ उसी दौर में हो सकता है जब देश हिंदू-मुस्लिम में डूबा हुआ हो, वरना जनता को उल्लू बनाने का कोई चांस ही नहीं था.
सरकार को राफेल सौदे पर उठ रहे अहम सवालों के तर्कपूर्ण जवाब देने चाहिए, क्योंकि यह अरबों डॉलर के सार्वजनिक धन से जुड़ा हुआ मसला है.