हिंदूवादी संगठनों की धमकी के चलते लेखक ने अपना उपन्यास वापस लिया

केरल के लेखक एस हरीश का उपन्यास 'मीशा' साप्ताहिक पत्रिका 'मातृभूमि' में किस्तों में छप रहा था. दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इसमें मंदिर जाने वाली महिलाओं का गलत चित्रण है. लेखक केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता हैं.

जॉर्ज ऑरवेल को पता था कि आने वाला वक़्त ‘बिग ब्रदर’ का है

जन्मतिथि पर विशेष: जॉर्ज ऑरवेल ने 1948 में एक किताब लिखी जिसका शीर्षक था- 1984. इसमें समय से आगे एक समय की कल्पना की गई है, जिसमें राज सत्ता अपने नागरिकों पर नज़र रखती है और उन्हें बुनियादी आज़ादी देने के पक्ष में भी नहीं है.

क्या ‘जूठन’ पाठ्यक्रमों से बाहर कर दी जाएगी?

हिमाचल विश्वविद्यालय में ओम प्रकाश वाल्मीकि की ‘जूठन’ बीते 3 सालों से पढ़ाई जा रही थी, तब भावनाएं अचानक कहां से आहत हो गईं? क्या इसका ताल्लुक़ राज्य में हुए हालिया सत्ता परिवर्तन से है?

देश में ऐसी स्थिति आ गई है कि लोग अपना विचार नहीं रख सकते: हाईकोर्ट

नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्या मामले में सुनवाई कर रही अदालत ने कहा, हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं. हम रोजाना ऐसी घटनाओं पर गर्व नहीं कर सकते हैं. यह हमारे के लिए शर्मनाक है.

सभी विपक्षी और उदारवादी मूल्यों का सफाया एक खतरनाक प्रवृत्ति है: बॉम्बे हाईकोर्ट

गोविंद पानसरे और नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच की निगरानी का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने टिप्पणी की.

अशोक वाजपेयी भाजपा सरकारों के आगे अपने हाथ पसारें, यह उन्हें शोभा नहीं देता

जवाहर कला केंद्र, जयपुर में होने वाले मुक्तिबोध समारोह के स्थगित होने से उपजे विवाद पर मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा का पक्ष.

भागीदारी और बहिष्कार को लेकर कोई एक नियम क्यों नहीं बना देते?

बहस-मुबा​हिसा: मुक्तिबोध जन्मशती वर्ष पर आयोजित एक कार्यक्रम का प्रगतिशील लेखक संघ ने बहिष्कार किया और कार्यक्रम रद्द हो गया. इस पर सवाल उठा रहे हैं लेखक अशोक कुमार पांडेय.

आवारा भीड़ के ख़तरे

यह भीड़ फासिस्टों का हथियार बन सकती है. हमारे देश में यह भीड़ बढ़ रही है. इसका उपयोग भी हो रहा है. आगे इस भीड़ का उपयोग सारे राष्ट्रीय और मानव मूल्यों के विनाश के लिए, लोकतंत्र के नाश के लिए करवाया जा सकता है.

सत्ता का विरोध देशद्रोह घोषित किया जा चुका है

पहले भी सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या की जाती थी. इनकी हत्या में सत्ताधारी सांसद और पुलिस अधिकारी भी शामिल होते थे. लेकिन पहले यह सब चुपचाप होता था. अब नया राजनीतिक माहौल ऐसा है कि अपराधी अपनी मंशाएं खुलेआम ज़ाहिर कर सकते हैं.

अब सुनने में आता है कि हर पांच मिनट में एक भारतीय लेखक का जन्म हो रहा है: अनीता देसाई

तीन बार बुकर पुरस्कार के लिए नामित और 17 से ज़्यादा किताबों की लेखक अनीता देसाई को हाल ही में इंटरनेशनल लिटरेरी ग्रैंड प्राइज़ से सम्मानित किया गया है.