ये मामला तीन जुलाई 2020 को किए गए एक फेसबुक पोस्ट से जुड़ा हुआ है, जिसमें शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखीम ने ग़ैर-आदिवासी युवाओं पर हुए हमले को लेकर सवाल उठाया था. राज्य सरकार का कहना था कि ऐसा करके मुखीम ने मामले को सांप्रदायिक रंग दिया है.
द शिलॉन्ग टाइम्स की संपादक पैट्रिशिया मुखीम पर एक फेसबुक पोस्ट के ज़रिये सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के आरोप में हुई एफआईआर को हाईकोर्ट ने रद्द करने से इनकार कर दिया है. मुखीम का कहना है कि एडिटर्स गिल्ड सिर्फ सेलिब्रिटी पत्रकारों का ही बचाव करती है, उनके मामले पर उसने चुप्पी साध रखी है.