शनिवार को होने वाले ‘प्रधानमंत्री लाभार्थी जनसंवाद’ में उपज का सही दाम नहीं मिलने की वजह से आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे हाड़ौती संभाग के किसानों को अपनी मन की बात कहने का मौका नहीं मिलेगा.
किसान आंदोलन के दबाव में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा तो कर दी, लेकिन इस पर अमल करने के लिए ज़रूरी 8 हज़ार करोड़ रुपये की रकम जुटाने में सरकार चकरघिन्नी हो रही है.
राजनीति में परिवारवाद से दूर रहने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत दलित-पिछड़े नेतृत्व को है, लेकिन दुखद यह है कि ये ताकतें सबसे पहले अपने परिवार को ही अपनी विरासत सौंपती हैं.