फिक्की द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमणियन ने कहा कि 1990 के शुरुआती वर्षों में बैंकिंग को कमज़ोर गुणवत्ता के कर्ज़ देने की समस्या से जूझना पड़ा. ख़ासतौर पर बड़ी राशि के कर्ज़ गुणवत्ता मानकों का पालन किए बिना पूंजीवादी मित्रों को दिए गए, जिससे समस्या बढ़ गई.
अमेरिकी थिंक टैंक जीएफआई ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में अनुमान जताया है कि इसी अवधि में 165 अरब डॉलर की अवैध राशि देश से बाहर गई है.