इसके अलावा एक मार्च 2018 से 24 जुलाई 2019 के बीच खरीदे गए कुल चुनावी बॉन्ड में से 99.7 फीसदी बॉन्ड 10 लाख और एक करोड़ रुपये के थे. करीब 80 फीसदी चुनावी बॉन्ड नई दिल्ली में भुनाए गए हैं.
बीएसएनएल के मामले में अभी तक 77,000 कर्मचारी वीआरएस के लिए आवेदन कर चुके हैं. एमटीएनएल को पिछले दस में से नौ साल घाटा हुआ है. बीएसएनएल भी 2010 से घाटे में है. दोनों कंपनियों 40,000 करोड़ रुपये का कर्ज है.
हालांकि वित्त मंत्रालय ने इन आपत्तियों को दरकिनार किया और ये प्रावधान रखा कि वो रजिस्टर्ड राजनीतिक दल ही चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा ले सकने योग्य होंगे जिन्होंने पिछले लोकसभा या राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान एक फीसदी वोट प्राप्त किया हो.
वीडियो: मीडिया बोल के इस अंक में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन एवं आरबीआई द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड के विरोध से जुड़ी खबर पर सीपीआई(एमएल) की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, लेखक सोहेल हाशमी और वरिष्ठ पत्रकार नितिन सेठी से वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश की बातचीत.
आरबीआई ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड और आरबीआई अधिनियम में संशोधन करने से एक गलत परंपरा शुरू हो जाएगी. इससे मनी लॉन्ड्रिंग को प्रोत्साहन मिलेगा और केंद्रीय बैंकिंग क़ानून के मूलभूत सिद्धांतों पर ही खतरा उत्पन्न हो जाएगा.
वित्तीय संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 69,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मंजूरी के कुछ दिनों बाद दोनों कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पेश की है.
चुनावी और राजनीतिक सुधार के क्षेत्र में काम करने वाली गैर सरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के विश्लेषण के अनुसार मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने कम से कम 12,313 चुनावी बॉन्ड बेचे.
दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कर्मचारियों के लिए एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना लाई जाएगी. विलय की प्रक्रिया पूरी होने तक एमटीएनएल, बीएसएनएल की एक इकाई के रूप में काम करेगी.
दूरसंचार मंत्रालय ने बीएसएनएल की वित्तीय हालत सुधारने के लिए 74,000 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव किया है, जबकि इसको बंद करने में 95,000 करोड़ रुपये ख़र्च होने का अनुमान लगाया गया है.
सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रस्तावित पूर्ण निजीकरण का भी रास्ता साफ हो चुका है. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विनिवेश की आड़ में नवरत्न कंपनियों को बेच रही है.
सरकार के पास कोई आइडिया नहीं है. वह हर आर्थिक फैसले को एक इवेंट के रूप में लॉन्च करती है. तमाशा होता है, उम्मीदें बंटती हैं और नतीजा ज़ीरो होता है.
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में आरटीआई दाखिल कर राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के दौरान पहचान की गोपनीयता बनाए रखने के संबंध में दानकर्ताओं द्वारा लिखे गए पत्र और इलेक्टोरल बॉन्ड योजना के ड्राफ्ट की प्रति के बारे में जानकारी मांगी गई थी.
केंद्र सरकार पहले भी राजकोषीय घाटा कम करने के लिए आरबीआई से अंतरिम लाभांश ले चुकी है. पिछले साल सरकार ने आरबीआई से 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश लिया था. इससे पहले 2017-18 में इस तरह से 10 हजार करोड़ रुपये लिए गए थे.
पी. चिदंबरम, रॉबर्ट वाड्रा और डीके शिवकुमार से ईडी द्वारा दर्जनों बार पूछताछ की जा चुकी है, लेकिन फिर भी चुनाव की दस्तक के साथ ईडी को पूछताछ के लिए इनकी हिरासत चाहिए.
राज्यों के जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने की परियोजना का वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के साथ मध्य प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार ने कड़ा विरोध किया था. कई अन्य राज्यों ने भी राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने से पहले विस्तृत अध्ययन कराने की मांग की थी.