विदेशी अंशदान विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2020 लोकसभा में पेश कर दिया गया है. विधेयक के लक्ष्य और कारणों में कहा गया है कि साल 2010 और 2019 के बीच विदेशी योगदान की वार्षिक आमद लगभग दोगुनी हो गई है, लेकिन इसके कई प्राप्तकर्ताओं ने इस धन को उस उद्देश्य के लिए उपयोग नहीं किया है जिसके लिए उन्हें पंजीकृत किया गया था.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया कि वर्ष 2017-18 का अनिवार्य वार्षिक ब्यौरा पेश नहीं करने के लिए एफसीआरए के तहत पंजीकृत 1808 संगठनों के पंजीकरण प्रमाण पत्रों को हाल ही में निरस्त किया गया है.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, एनजीओ के पदाधिकारियों, कर्मचारियों और हर सदस्य को यह प्रमाणित करना होगा कि धर्मांतरण कराने और सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए न तो उसे सज़ा हुई है और न ही दोषी ठहराया गया है.
विदेशी चंदा नियमन क़ानून में संशोधन को लोकसभा ने बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया. भाजपा और कांग्रेस को मिलेगी बड़ी राहत.
द वायर की रिपोर्ट पर इंडिया फाउंडेशन की प्रतिक्रिया बेहद असंतोषजनक है. फाउंडेशन द्वारा न तो रिपोर्ट में उठाये गये और न ही निदेशकों को भेजे गए किसी सवाल का स्पष्ट जवाब दिया गया है.
विशेष रिपोर्ट: शौर्य डोभाल द्वारा संचालित इंडिया फाउंडेशन में मोदी सरकार के मंत्री निदेशक हैं. यह संस्थान कई ऐसे कॉरपोरेट्स से चंदा लेता है, जो सरकार के साथ सौदे भी करते हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता एसपी उदयकुमार ने प्रेस काउंसिल से शिकायत करते हुए कहा है कि झूठे स्टिंग के माध्यम से उन्हें व उनके परिवार को प्रताड़ित किया जा रहा है.
विदेशी मुद्रा नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के तहत एनजीओ को मिलने वाले विदेशी चंदे पर लगने के बाद सामाजिक मुद्दों और मानवाधिकार से जुड़े काम प्रभावित हुए हैं.