उत्तराखंड की रहने वालीं पारूली देवी के पति की मृत्यु साल 1952 में हुई थी. एक लंबी लड़ाई के बाद अब 81 वर्ष की उम्र में उन्हें उनके पति की पेंशन देने के लिए स्वीकृति प्रदान की गई है.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि बीते साल प्रधानमंत्री मोदी द्वारा की गयी घोषणा के बावजूद मातृत्व भत्ता देने के लिए बनी प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना अब तक लागू नहीं हुई है.
राज्य के करदाना गांव में सरकार ने उन लोगों की पेंशन रोक दी है, जिन्होंने अब तक बैंक में आधार कार्ड नहीं जमा किया है. यह न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना है बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मिलने वाले जीने के अधिकार की अवहेलना भी है.