बिहार विधानसभा में राजद विधायकों की पिटाई; लोकतंत्र के लिए शर्मनाक दिन

वीडियो: बिहार विधानसभा में विधायकों के साथ बदसलूकी और मारपीट की घटना की पूरे देश में निंदा की जा रही है. इस पूरे मामले पर राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता शक्ति सिंह, वरिष्ठ पत्रकार फ़ैज़ान अहमद और द वायर के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.

असम: एनडीए से नाता तोड़ कांग्रेस नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बनी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट

भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए के ख़िलाफ़ मज़बूती से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस ने पहले एआईयूडीएफ, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और आंचलिक गण मोर्चा के साथ महागठबंधन का गठन किया था. अब बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट और राजद भी उसके साथ आ गए हैं.

असम में दोबारा निर्वाचित विधायकों की संपत्ति 95 फीसदी तक बढ़ी: रिपोर्ट

असम इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2016 में दोबारा निर्वाचित विधायकों की संपत्ति में औसत वृद्धि 1.48 करोड़ है यानी उनकी संपत्ति में 95 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई. पर्यटन मंत्री चंदन ब्रह्मा उन पांच विधायकों में शीर्ष पर हैं, जिनकी संपत्ति दोबारा निर्वाचित होने के बाद उल्लेखनीय तरीके से बढ़ी है.

असम के मुख्यमंत्री समेत 56 प्रतिशत से ज़्यादा विधायक हैं करोड़पति: रिपोर्ट

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और असम इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के मौजूदा विधायकों में 58 प्रतिशत करोड़पति हैं जबकि कांग्रेस के 55 प्रतिशत. सबसे ज़्यादा 77 प्रतिशत करोड़पति विधायक असम गण परिषद में हैं.

सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ मामलों में गवाहों को बिना मांगे सुरक्षा दी जाएः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों से कहा कि सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ मामलों में भले ही गवाहों की तरफ से सुरक्षा की मांग की गई हो या नहीं, उन्हें गवाह संरक्षण योजना के तहत सुरक्षा उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

क्या महिलाओं की सुरक्षा उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं में भी है?

उन्नाव ज़िले की बांगरमऊ विधानसभा सीट पर 3 नवंबर को उपचुनाव है. यह सीट नाबालिग के बलात्कार के दोषी पाए गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की सदस्यता रद्द होने पर ख़ाली हुई थी. महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों के बीच यहां हुई एक चुनावी सभा में मुख्यमंत्री के भाषण से उनकी सुरक्षा की बात नदारद रही.

उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने सभी सदस्यों को वेतन का 30 फ़ीसदी कोविड फंड में देना अनिवार्य किया

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड राज्य विधानसभा (सदस्य भत्ता और पेंशन) संशोधन अध्यादेश, 2020 को मंज़री दी गई. इसके तहत एक अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक मुख्यमंत्री समेत सभी विधायकों के वेतन भत्तों से 30 फ़ीसदी राशि काटी जाएगी.

देश में असुरक्षित महिलाएं और नेताओं के बिगड़े बोल

महिलाओं की सुरक्षा की चिंता और उनको हिंसा, बलात्कार आदि से बचाने को लेकर कड़े क़ानून बनाने का नेताओं का आश्वासन उनके दिए महिला-विरोधी बयानों के बरक्स बौना नज़र आता है.

उत्तर प्रदेशः भाजपा विधायक ने स्कूली छात्रों को दिलाई पार्टी की सदस्यता

मामला उत्तर प्रदेश के चंदौली ज़िले का है. सैयदराजा से भाजपा विधायक सुशील सिंह ने वहां के नेशनल इंटर कॉलेज के छात्रों को भाजपा का पट्टा पहनाकर शपथ दिलाई.

क्या देश में चुनाव वाकई रस्म अदायगी बनकर रह जाएंगे?

चुनावों को रस्म अदायगी बनने से रोकना है तो उनकी निष्पक्षता व स्वतंत्रता की हर हाल में रक्षा करना जरूरी है. यह भी समझना होगा कि चुनाव सुधारों के संबंध में समूचे विपक्ष का अगंभीर, नैतिकताहीन रवैया ऐसी स्थिति लाने में सत्ताधीशों की मदद ही करेगा.

आरटीआई में खुलासा, राजस्थान में विधायकों के वेतन-भत्तों पर 90.79 करोड़ रुपये ख़र्च

पिछले पांच सालों में राजस्थान के विधायकों के वेतन-भत्तों पर 90.79 करोड़ रुपये ख़र्च किया गया है. वहीं पूर्व विधायकों को मिलने वाली पेंशन राशि लगभग तीन गुना बढ़ गया है.

सांसदों/विधायकों पर 4,000 से ज़्यादा मुक़दमे, बिहार-केरल में विशेष अदालतें गठित करने का निर्देश

उच्चतम न्यायालय ने इन विशेष अदालतों में मुक़दमों की सुनवाई का क्रम निर्धारित करते हुए कहा कि वर्तमान और पूर्व सांसदों/विधायकों के ख़िलाफ़ लंबित ऐसे दंडनीय अपराधों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनमें उम्रक़ैद या मौत की सज़ा का प्रावधान है.

मध्य प्रदेश में विधायकों के वेतन-भत्तों पर साढ़े पांच साल में 149 करोड़ रुपये ख़र्च: आरटीआई

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में हर एक विधायक की कमाई सूबे की अनुमानित प्रति व्यक्ति आय के मुक़ाबले क़रीब 18 गुना ज़्यादा थी.

क्या देश की राजनीति हमेशा ऐसी ही मूल्यहीनता और लूट-खसोट की पर्याय रही है?

देश में अरबपतियों की तेज़ी से बढ़ती संख्या के बीच आप रोते रहिए कि राजनीति का पतन हो गया है और अब वह समाजसेवा या देशसेवा का ज़रिया नहीं रही, इन बहुमतवालों को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि उन्होंने इस स्थिति को सामाजिक-सांस्कृतिक मान्यता भी दिला दी है.

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