लोकसभा चुनाव परिणाम यह बताते हैं कि तात्कालिक आर्थिक स्थितियां परिणामों को निर्धारित करनेवाला एकमात्र कारक नहीं होतीं, लोग अपने निर्णय उपलब्ध विकल्पों के आधार पर तय करते हैं.
यह देखना दिलचस्प होगा कि नरेंद्र मोदी सारी सत्ता व अधिकार अपनी मुट्ठी में क़ैद रखने की अपने पिछले कार्यकाल की रीति-नीति बदलने में कोई दिलचस्पी रखते हैं या नहीं?
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई क़ुरैशी ने कहा कि मतपत्र की ओर वापस लौटने का कोई सवाल नहीं है. ईवीएम प्रणाली समाप्त करने की बजाय, इन मशीनों में सुधार की संभावना तलाशी जानी चाहिए.
कांग्रेस और विपक्ष को चाहिए था कि वो मोदी को रफाल की बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, बेरोज़गारी, किसानों की आत्महत्या पर बहस के लिए ललकारते.
चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों की ईवीएम के मतों की गिनती से पहले वीवीपैट की पर्चियों को गिनने की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा है कि मतगणना पूर्व निर्धारित प्रक्रिया के तहत ही होगी.
वीडियो: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से लोकसभा चुनाव से जुड़े मुद्दों पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी की बातचीत.
देश के ग़रीब प्रधानमंत्री ने चुनावी ख़र्चे का इतिहास ही बदल दिया है, इसलिए कॉरपोरेट को भी ज्यादा चंदा देना होगा. कॉरपोरेट नहीं बताना चाहते हैं कि वे किसे और कितना चंदा दे रहे हैं. उनकी सुविधा के लिए प्रधानमंत्री ने इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का चतुर क़ानून बनाया और बड़ी आसानी से जनता को बेच दिया कि चुनावी प्रक्रिया को क्लीन किया जा रहा है.
चुनाव आयोग द्वारा पीएम नरेंद्र मोदी फिल्म की रिलीज़ पर रोक के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे फिल्म देखकर इस पर रिपोर्ट देने को कहा था. रिपोर्ट में आयोग ने कहा कि फिल्म पूरी तरह से एक-आयामी है, जो एक व्यक्ति की बेहद तारीफ करते हुए उसे संत का दर्जा दे देती है. आचार संहिता के दौरान इसका प्रदर्शन चुनावी संतुलन को एक ओर झुका देगा.
मोदी की बची-खुची राजनीतिक कामयाबी यही है कि विपक्ष के नेता और उनकी सरकारें भी फेल रही हैं. फेल होने वाला हमेशा घर में बताता है कि सब फेल हुए हैं मगर मोहल्ले को बताता है कि वह पास हुआ है, पर रिज़ल्ट किसी को नहीं दिखाता. देश के 50 फीसदी से अधिक छात्रों की यही कहानी आज नरेंद्र मोदी की भी कहानी है.
चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव ख़त्म होने तक फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाई है. फिल्म 11 अप्रैल को रिलीज़ होनी थी. इसी दिन लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान होना है.
वरिष्ठ पत्रकार मार्क टली बता रहे हैं कि विपक्ष इस चुनाव का पहला राउंड हार चुका है. उसके लिए भाजपा को अंतिम राउंड में जीतने से रोकना बहुत कठिन है.
निर्माताओं को जवाब देने के लिए 30 मार्च तक का समय दिया गया. कांग्रेस ने कहा फिल्म का मक़सद पूरी तरह राजनीतिक, चुनावी फायदा लेने की कोशिश.
राष्ट्रवाद और सैन्य बलों को चुनाव प्रचार में घसीटकर उनका राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश मतदाताओं को आकर्षित करने की गारंटी नहीं है और इसका उलटा असर भी हो सकता है. चुनाव की तैयारी कर रहीं पार्टियों की रणनीति देखते हुए यह साफ़ हो रहा है कि कोई भी अपनी निर्णायक जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है.
भाजपा ने आम चुनाव में राष्ट्रवाद और पाकिस्तान से ख़तरे को मुद्दा बनाने का मंच सजा दिया है. वो चाहती है कि विपक्ष उनके उग्रता के जाल में फंसे, क्योंकि विपक्षी दल उसकी उग्रता को मात नहीं दे सकते. विपक्ष को यह समझना होगा कि जनता में रोजगार, कृषि संकट, दलित-आदिवासी और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते अत्याचार जैसे मुद्दों को लेकर काफी बेचैनी है और वे इनका हल चाहते हैं.
मोदी सरकार द्वारा किसी भी तरह की फास्ट ट्रैक कार्यवाही के इरादे के बिना जांच एजेंसियों के कथित पक्षपातपूर्ण इस्तेमाल को संगठित विपक्ष द्वारा बखूबी भुनाया जाएगा.