पत्रकारों का काम सरकारों का प्रवक्ता बनना नहीं, उनसे सवाल पूछना है

पत्रकारिता और देशभक्ति का साथ विवादास्पद है. देशभक्ति अक्सर सरकार के पक्ष का आंख मूंदकर समर्थन करती है और फिर प्रोपगेंडा में बदल जाती है. आज सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर अपना प्रोपगेंडा फैलाने की कला में पारंगत हो चुकी है और जिन पत्रकारों पर सच सामने रखने का दारोमदार था, वही इसमें सहभागी हो गए हैं.

क्या चीन में काम कर रहीं कंपनियों को देश में लाने में सफल होगा भारत?

चीन में कामगारों के बढ़ते वेतन और अमेरिका के साथ इसके ट्रेड वॉर के बाद कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने वहां से अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस शिफ्ट करने शुरू कर दिए थे, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद अप्रैल 2018 से लेकर अगस्त 2019 के बीच ऐसी कंपनियों में से सिर्फ तीन ही भारत आईं.

भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी में भारत पहले नंबर पर: फोर्ब्स सर्वे

फोर्ब्स ने अपने 18 महीने के सर्वे में पाया है कि एशिया महाद्वीप के टॉप 5 भ्रष्ट देशों में भारत का स्थान सबसे ऊपर है, जबकि पाकिस्तान चौथे नंबर पर है.

यह याद रखना चाहिए सरकार का विरोध करना अपराध नहीं है

आज के नव उग्र-राष्ट्रवादी समय में यह याद करना फ़ायदेमंद होगा कि परिपक्व राष्ट्र युद्ध के समय भी साधारण व्यक्तियों या सुपरस्टारों को भी आधिकारिक ‘लकीर’ से अलग चलने की आज़ादी देता है.