विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) प्रमुख का कहना है कोविड-19 वायरस दोबारा फैल रहा है. ग़रीब और मध्य आय वाले देशों की अर्थव्यवस्थाएं लगातार बिगड़ रही हैं. अगर हमें अरबों डॉलर की सहायता नहीं मिली तो 2021 में हमारा सामना व्यापक स्तर पर अकाल से होगा.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के प्रमुख डेविड बीसली ने कहा कि नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की घोषणा ने दुनिया के लगभग 69 करोड़ लोगों को वैश्विक नज़र में ला दिया है, जो भुखमरी का सामना कर रहे हैं. उन्होंने उम्मीद जताई कि पुरस्कार मिलने के बाद दुनिया के दानदाता, अरबपति और लोग भुखमरी उन्मूलन के कार्यकम में सहायता के लिए प्रेरित होंगे.
अमेरिकी कवयित्री लुईस ग्लूक को 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया गया है. वह 2016 में बॉब डिलन के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली पहली अमेरिकी हैं.
संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर से कहा गया है कि कोविड-19 संकट के कारण कुपोषण को कम करने की पहल की प्रगति पर असर पड़ा और वर्तमान चुनौतियां और भी बढ़ गई हैं.
इससे पहले संयुक्त राष्ट्र ने बीते बुधवार को अनुमान जताया था कि कोविड-19 महामारी के चलते इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.2 प्रतिशत की कमी आएगी. यह 1930 की महामंदी के बाद सबसे अधिक गिरावट होगी.
संयुक्त राष्ट्र के निकाय विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने कहा एक ओर हम कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं और दूसरी ओर भुखमरी की महामारी के मुहाने पर भी आ पहुंचे हैं. वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि जन सेवाओं की आपूर्ति में भेदभाव किया जा रहा है. नफरत फैलाने वाले वक्तव्य बढ़ गए हैं, संवेदनशील समूहों पर हमले बढ़े हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक ने बताया कि भूख से जूझ रहे तकरीबन तीन करोड़ 20 लाख लोग चार संघर्षरत देशों- सोमालिया, यमन, दक्षिण सूडान और उत्तर पूर्व नाइजीरिया में रह रहे हैं.
म्यांमार की स्टेट काउंसलर सू ची के बयान पर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि वह रोहिंग्या संकट पर आंखें मूंदे बैठी हैं.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने म्यांमार सरकार द्वारा रोहिंग्या लोगों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया.