स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 58 हज़ार से ज़्यादा वेंटिलेटर्स का ऑर्डर पाने वाली पांच कंपनियों में गुजरात की ज्योति सीएनसी भी थी. मई में अहमदाबाद के अस्पताल में भेजे गए उनके वेंटिलेटर्स पर सवाल उठे थे. अब सामने आया है कि 20 जुलाई तक मंत्रालय की एक समिति ने इस कंपनी से वेंटिलेटर लेने की सिफ़ारिश नहीं की थी.
कोरोना को लेकर स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली पर हुई आलोचना के बाद केंद्र ने दावा किया था कि लॉकडाउन में बने स्वदेशी वेंटिलेटर्स अस्पतालों में हो रही इनकी कमी पूरी करेंगे. आंकड़े बताते हैं कि अब तक केंद्र द्वारा आवंटित वेंटिलेटर्स का महज़ 50 फीसदी ही राज्यों और केंद्रीय संस्थानों को मिला है.
समिति ने दिल्ली के किसी भी अस्पताल में कोरोना वायरस आइसोलेशन बेड का शुल्क 8,000 रुपये से 10,000 रुपये तथा वेंटिलेटर वाले आईसीयू बेड का शुल्क 15,000 रुपये से 18,000 रुपये प्रतिदिन तय करने की सिफ़ारिश की है.
केंद्र सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार, देश भर में 183 ज़िलों में 100 से कम आइसोलेशन बेड हैं और इनमें से 67 ज़िलों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं. सबसे ख़राब स्थिति उत्तर प्रदेश, बिहार और असम की है.