अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंधन निदेशक क्रिस्टिलीना जॉर्जीवा ने कहा कि भारत की प्राथमिकता सबसे कमज़ोर लोगों की सुरक्षा करने, उन्हें सहायता देने और छोटे तथा मझोले उद्योगों की रक्षा करने की होनी चाहिए, ताकि एक देश के रूप में उनकी इस महामारी के ख़िलाफ़ लड़ाई में हार न हो.
विश्व बैंक ने कहा कि भारत की आर्थिक स्थिति इससे पहले के किसी भी समय की तुलना में काफ़ी ख़राब है. कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को थामने के लिए देशभर में लगाए गए लॉकडाउन का भी प्रतिकूल असर पड़ा है.
वैश्विक ब्रोकिंग कंपनी बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज़ ने एक रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 के चलते देश में आर्थिक गतिविधियों में आई गिरावट के चलते यदि उम्मीद के अनुरूप स्थिति भी रहती है, तब भी अर्थव्यवस्था के क़रीब चार प्रतिशत नीचे जाने का अनुमान है.
एशियाई विकास बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही में धीमी पड़कर 3.1 प्रतिशत रही. यह 2003 के बाद सबसे धीमी वृद्धि है.
विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 प्रतिशत की गिरावट आएगी, साथ ही विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 2.5 प्रतिशत की गिरावट की आशंका है, जो क़रीब छह दशकों में पहली गिरावट होगी. भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 3.2 प्रतिशत की कमी देखी जाएगी.
कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू लॉकडाउन के कारण कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के साथ मक्का और मदीना की यात्रा भी बंद है. इससे राजशाही को राजस्व का नुकसान हो रहा है. वहां के नागरिकों को 2018 से शुरू हुआ निर्वाह व्यय भत्ता भी नहीं मिलेगा.
व्यापार पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने से विकासशील देशों के लिए गंभीर संकट पैदा होगा लेकिन चीन और भारत इससे बच सकते हैं.
अमेरिका के राष्ट्रीय आर्थिक शोध ब्यूरो द्वारा जारी एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि नोटबंदी के बाद 2016 में नवंबर-दिसंबर महीने के दौरान रोजगार सृजन में तीन प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई थी.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2017 में अधिक तेज़ रफ़्तार से बढ़ी, लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई.
नोटबंदी के फ़ैसले के बाद से अर्थव्यवस्था के और अधिक वित्तीयकरण के प्रयासों का परिणाम होगा कि आगे किसी भी वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान देश की अर्थव्यवस्था को ज़्यादा चोट पहुंच सकती है.
वीरप्पा मोइली ने कहा, आधारभूत संरचना क्षेत्र की परियोजनाएं रुकीं, इनकी संख्या बढ़ रही है. ऐसे में विकास दर में बढ़ोत्तरी कैसे होगी?
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का तीन पक्षीय सुधारों का सुझाव. जेटली बोले- भारत के पास अगले एक-दो दशक में उच्च वृद्धि की क्षमता है.