श्रम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत पिछले तीन साल में केवल 1.12 करोड़ रोज़गार ही पैदा किए जा सके.
आगामी लोकसभा चुनावों से पहले रोज़गार को लेकर यह तीसरी रिपोर्ट है जिसे मोदी सरकार ने दबा दिया है. इससे पहले उसने बेरोज़गारी पर एनएसएसओ की रिपोर्ट और श्रम ब्यूरो की नौकरियों और बेरोज़गारी से जुड़ी छठवीं सालाना रिपोर्ट को भी जारी होने से रोक दिया था.
श्रम मंत्रालय के एक सर्वेक्षण के अनुसार अप्रैल-जून 2017 के बीच मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के संविदा और अस्थायी कर्मचारी सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए.