सावित्री बाई फुले: जिन्होंने औरतों को ही नहीं, मर्दों को भी उनकी जड़ता और मूर्खता से आज़ाद किया

दुनिया में लगातार विकसित और मुखर हो रही नारीवादी सोच की ठोस बुनियाद सावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिबा ने मिलकर डाली. दोनों ने समाज की कुप्रथाओं को पहचाना, विरोध किया और उनका समाधान पेश किया.

अभिनेत्री मौसमी चटर्जी ने कोमा में गई बेटी से मिलवाने के लिए अदालत से लगाई गुहार

बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दाख़िल कर अभिनेत्री मौसमी चटर्जी ने अपने दामाद पर आरोप लगाया है कि वह उनकी बेटी से मिलने नहीं देते इसलिए उचित देखभाल के लिए उन्हें बेटी का अभिभावक घोषित किया जाए.

वीडियो: उर्दू साहित्य और समाज में समलैंगिकता का सवाल

विशेष: उर्दू साहित्य और समाज का समलैंगिकता को लेकर रवैया क्या हमेशा से ही तंग था? भारतीय समाज और इतिहास में समलैंगिकता को लेकर बनी वर्जनाओं (टैबू) के बारे में बता रही हैं यासमीन रशीदी.

शायद हम धर्म, जाति के आधार पर पहले से कहीं अधिक बंटे हुए हैं: जस्टिस गोगोई

देश के मनोनीत प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि हमें क्या पहनना चाहिए, क्या खाना चाहिए, क्या कहना चाहिए, क्या पढ़ना और सोचना चाहिए, ये सब अब हमारी निजी ज़िंदगी के छोटे और महत्वहीन सवाल नहीं रह गए है.

सुप्रीम कोर्ट ने फिर कहा, मॉब लिंचिंग पर रोक लगाने के आदेश पर अमल करें राज्य सरकारें

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली खंडपीठ ने कहा, लोगों को इस बात का एहसास होना चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर उन्हें कानून के कोप का सामना करना पड़ेगा.

मीडिया बोल, एपिसोड 67: हिंदी भाषी मीडिया और हिंदी समाज

मीडिया बोल की 67वीं कड़ी में उर्मिलेश हिंदी भाषी मीडिया और हिंदी समाज पर पॉलिटिकल साइंटिस्ट सविता सिंह और जेएनयू के प्रो. विवेक कुमार से चर्चा कर रहे हैं.

क्या गाय के नाम पर मुस्लिमों के साथ हिंसा मोदी राज की देन है?

गोरक्षा के नाम पर देश भर में मुस्लिमों के साथ हिंसा की घटनाएं नई नहीं हैं. हाल के समय में बढ़ी लिंचिंग की घटनाओं और उनकी रिपोर्टिंग के पीछे ज़रूरी तौर पर भारतीय समाज में आया कोई बुनियादी बदलाव नहीं, बल्कि कुछ हद तक इसके लिए इंटरनेट के विस्तार की भूमिका है.

मॉब लिंचिंग पर राज्यों द्वारा स्टेटस रिपोर्ट नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्टेटस रिपोर्ट जमा करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए एक सप्ताह का वक़्त दिया है.

अब पराया लगता है यह देश

हम देश के एक छोटे से क़स्बे में पले-बढ़े लेकिन उस दौर में लोगों का दिलो-दिमाग राजनीति ने इतना छोटा नहीं था, जबकि देश का विभाजन हुए बहुत अरसा भी नहीं बीता था. नफ़रत की ऐसी आग नहीं लगी हुई थी, जैसी आज लगी है.

मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून: समिति ने राजनाथ की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह को रिपोर्ट सौंपी

पिछले एक साल में नौ राज्यों में करीब 40 लोगों की हत्या भीड़ द्वारा पीट-पीटकर की जा चुकी है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस पर कानून बनाने का निर्देश दिया था.

यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए निराशाजनक दौर है

यह एक कठोर हक़ीक़त है कि अभिव्यक्ति की आज़ादी को बचाए रखने वाले हर क़ानून के अपनी जगह पर होने के बावजूद समाचारपत्रों और टेलीविज़न चैनलों ने बिना प्रतिरोध के आत्मसमर्पण कर दिया है और ऊपर से आदेश लेना शुरू कर दिया है.

राष्ट्रीय पुरस्कार से ​सम्मानित फिल्म ‘एक डॉक्टर की मौत’ के लेखक रामपद चौधरी का निधन

प्रख्यात बंगाली लेखक रामपद चौधरी फेफड़े और वृद्धावस्था से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे थे. उनकी रचना ‘बाड़ी बोदले जाए’ के लिए 1988 में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

हिंदू-मुस्लिम 15 दिन न्यूज़ चैनल देखना छोड़ दें तो दोनों में प्यार हो जाएगा: अनुभव सिन्हा

रा वन, तुम बिन, गुलाब गैंग जैसी फिल्में बनाने वाले निर्देशक अनुभव सिन्हा ने कहा कि देश से हर हिंदुस्तानी प्यार करता है, उन्हें अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए मजबूर न किया जाए.

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