नए दिशानिर्देशों के मुताबिक, कोई भी प्रोफेसर संस्थान या सरकार की सार्वजनिक आलोचना नहीं कर सकता. साथ ही शिकायत निवारण के लिए संयुक्त याचिकाओं पर हस्ताक्षर और किसी भी समस्या के लिए अदालत या प्रेस जाने पर भी अंकुश लगाया गया है. फैकल्टी सदस्यों ने इनका पुरजोर विरोध किया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रतिरोध के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुरक्षा प्रदान की गई है और सरकार के क़ानून व्यवस्था की आलोचना करना कोई अपराध नहीं है.
पंजाब के एक व्यक्ति ने फेसबुक लाइव के दौरान लॉकडाउन को लेकर सरकार के कामकाज की कथित तौर पर आलोचना की थी, जिसके बाद उन पर बीते अप्रैल महीने में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. फ़िलहाल अदालत ने उनकी ज़मानत मंज़ूर कर ली है.
उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले छात्र मोहम्मद मिस्बाह ज़फ़र को पुलिस ने 14 अगस्त की आधी रात को हिरासत में लिया था. वैसे तो ज़फ़र के ख़िलाफ़ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस ने उन्हें 12 घंटे हिरासत में रखा था.
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक गुप्ता ने अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में कहा कि हमें हमेशा सवाल करते रहना चाहिए तभी समाज का विकास होगा.
व्हाट्सऐप और फेसबुक पर पुलवामा हमले, बालाकोट एयरस्ट्राइक और केंद्र सरकार पर आलोचनात्मक टिप्पणियां करने के आरोप में विभिन्न ज़िलों के सात सरकारी शिक्षकों को निलंबन और एक निजी स्कूल के एक शिक्षक के ख़िलाफ़ एफआईआर का आदेश दिया गया है.
अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स का कहना है कि 2015 से अब तक सरकार की आलोचना करने वाले नौ पत्रकारों की हत्या कर दी गई.