अयोध्या में 1990-92 में प्रिंट मीडिया का प्रभुत्व था, अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने उसे पीछे धकेलकर सांप्रदायिक पत्रकारिता का परचम उससे छीन लिया है और ख़ुद को राम मंदिर आंदोलन का अघोषित प्रवक्ता बना लिया है.
धार्मिक पर्यटन बढ़ाने के नाम पर दिव्य दीपावली समेत कई सरकारी आयोजनों में भावनाओं के दोहन के लिए भारी-भरकम योजनाओं के बड़े-बड़े ऐलानों द्वारा लगातार ऐसा प्रचारित किया जा रहा है जैसे अयोध्या में स्वर्ग उतारकर हर किसी के लिए लाल गलीचे बिछा दिए गए हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई इसके एकदम उलट है.