ग्राउंड रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश में बिजनौर ज़िले के नहटौर कस्बे में नागरिकता क़ानून को लेकर बीते 20 दिसंबर को हिंसा के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि गोली से घायल एक व्यक्ति का इलाज अस्पताल में चल रहा है.
बीएचयू के 51 प्रोफेसरों ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाकर विरोध जताया. शिक्षकों ने कहा है कि यह सांप्रदायिक आधार पर समाज को बांटने की साफ कोशिश है. फिल्मी हस्तियों ने हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की. एक पत्र जारी कर कहा गया है कि वे कथित पुलिस गोलीबारी और अत्यधिक बल प्रयोग से उत्तर प्रदेश में हुई मौतों को लेकर बेहद चिंतित हैं.
'गेटिंग अवे विद मर्डर' नाम के अध्ययन के मुताबिक 2014 से 2019 के बीच भारत में 40 पत्रकारों की मौत हुई, जिनमें से 21 पत्रकारों की हत्या की वजह उनके काम से जुड़ी थी.
नागरिकता क़ानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में बीते 21 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद से 327 केस दर्ज है. अब तक 1100 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया, जबकि साढ़े पांच हज़ार से अधिक लोगों को एहतियातन हिरासत में लिया गया है. सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट के संबंध में 124 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर 19 हज़ार से ज़्यादा प्रोफाइल ब्लॉक किए गए.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात का समय न मिलने पर सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय ने उन्हें एक खुला पत्र लिखकर कहा कि नागरिकता क़ानून के विरोध-प्रदर्शन में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ राज्य सरकार की ‘प्रतिशोध की भावना’ से की गई कार्रवाई निंदनीय है.
इससे पहले विवादित नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में देश भर में 25 लोगों की मौत हो चुकी थी. इसमें से कम से कम 18 लोगों की मौत अकेले उत्तर प्रदेश में हुई थी.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भेजी गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान यूपी पुलिस द्वारा मानवाधिकार हनन की कई घटनाएं हुई हैं. युवकों की मौतों की कई खबरें आईं, जो मुख्य रूप से पुलिस कार्रवाई के दौरान लगी गोलियों के चलते हुईं और पुलिस ख़ुद सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर रही है.
नागरिकता क़ानून को लेकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों में पुलिस और ज़िला प्रशासन ने लोगों को नोटिस भेजा है. इसके अलावा कानपुर, फ़िरोज़ाबाद और मऊ समेत कई अन्य शहरों की पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों की पहचान के लिए उनकी तस्वीरों का पोस्टर जारी किया है. इससे पहले रामपुर में 25 लाख रुपये की भरपाई के लिए 28 लोगों को नोटिस भेजा गया था.
जॉइंट एक्शन कमेटी के तहत नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध करने वाले बीएचयू के छात्रों ने कहा कि उनके दर्जनों साथियों को 19 दिसंबर से ही गिरफ्तार किया गया है. कमेटी के सदस्य और एमए फर्स्ट ईयर के छात्र प्रियेश पांडे ने कहा कि गिरफ्तार किए गए 12 लोगों में से तीन पीएचडी छात्र, आठ एमए छात्र और एक बीए का छात्र है.
इतिहासकार इरफान हबीब ने देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई पर कहा कि औपनिवेशिक काल में भी हमने विरोध का इस तरह दमन नहीं देखा. विरोध को इस तरह कुचलने के प्रयासों को लेकर लोग काफी चिन्तित हैं क्योंकि विरोध करने का अधिकार लोकतांत्रिक समाज का हिस्सा है.
उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान घायल मोहम्मद शफ़ीक़ नई दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि बीते 20 दिसंबर को काम से घर लौटने के दौरान पुलिस ने उनके सिर में गोली मार दी थी.
फिल्मकार और संगीतकार विशाल भारद्वाज ने सवाल उठाया है कि तोड़-फोड़ में पुलिस के कथित रूप से शामिल होने की खबरें सामने आने के बाद क्या इस मामले की कोई न्यायिक जांच होगी.
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर उत्तर प्रदेश के रामपुर में हुई हिंसा के संबंध में प्रशासन ने 28 लोगों को नोटिस जारी किए हैं. नोटिस में इन 28 लोगों को हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का ज़िम्मेदार बताया गया है.
वीडियो: उत्तर प्रदेश के फ़िरोज़ाबाद में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान घायल मोहम्मद शफ़ीक़ नई दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. परिजनों का आरोप है कि बीते 20 दिसंबर को काम से घर लौटने के दौरान पुलिस ने उनके सिर में गोली मार दी थी. विशाल जायसवाल की परिजनों से बातचीत.
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह समेत तमाम आला अधिकारियों ने दावा किया था कि किसी भी प्रदर्शनकारी की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई है. नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन में देशभर में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें से 18 लोग उत्तर प्रदेश के थे.