सीबीआई बनाम सीबीआई: आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच लड़ाई की पूरी कहानी

देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के इतिहास में पहला ऐसा मौका है जब उसके दो वरिष्ठतम अधिकारी एक दूसरे पर बेहद संगीन आरोप लगा रहे हैं.

सीबीआई बनाम सीबीआई: अस्थाना पर कार्रवाई से रोक, डीएसपी को सात दिन की हिरासत

दिल्ली हाईकोर्ट ने 29 अक्टूबर तक राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ कार्रवाई पर रोक लगा दी. मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले में जांच अधिकारी रहे डीएसपी देवेंद्र कुमार को सीबीआई ने सोमवार को गिरफ़्तार किया था. डीएसपी ने अपनी गिरफ्तारी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है.

सीबीआई ने रिश्वत मामले में राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ दर्ज किया एफआईआर

सीबीआई के दूसरे नंबर के अधिकारी राकेश अस्थाना पर मोईन कुरैशी भ्रष्टाचार मामले में रिश्वत लेने का आरोप है. रॉ के विशेष निदेशक सामंत कुमार गोयल भी जांच के घेरे में हैं.

राकेश अस्थाना ने उनके ख़िलाफ जांच कर रहे अफसरों को डराने के लिए की शिकायत: सीबीआई

सीबीआई प्रमुख आलोक वर्मा पर विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने आरोप लगाया है कि उन्होंने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव की संलिप्तता वाले आईआरसीटीसी घोटाले में आखिरी समय में छापेमारी रोक दी थी.

सीवीसी के निर्देश के बावजूद बैंक नहीं देते भ्रष्ट अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति

आयोग को बैंकों के नौ अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने की अनुमति मिलने का इंतजार है. उन्हें सीबीआई ने भ्रष्टाचार में कथित संलिप्तता के लिए हिरासत में लिया था.

भाजपा सरकार में उद्योगपति निखिल मर्चेंट के ‘अच्छे दिन’ आ गए हैं

जहां बाकी कॉरपोरेट खिलाड़ी सिर्फ सुर्खियों में रहते हैं, वहीं सही मायनों में 'अच्छे दिन' एक अनाम-सी फर्म स्वान एनर्जी के प्रमोटर के आए हैं, जिनके साथ कारोबार करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां तैयार खड़ी हैं.

‘सीबीआई में ऐसे अफसर को अहम पद दिया जा रहा है, जिसके ख़िलाफ़ सीबीआई जांच चल रही है’

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण बता रहे हैं कि सीबीआई के नवनियुक्त स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर 4,000 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिग मामले में शामिल होने का आरोप है, जिसकी जांच ख़ुद सीबीआई कर रही है.

सुनें: देश की न्यायपालिका से प्रशांत भूषण के कुछ ज़रूरी सवाल

बिड़ला-सहारा डायरी केस और कालिखो पुल सुसाइड मामले में न्यायपालिका पर सवाल उठाता वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के लेख का आॅडियो.

इससे पहले कि बिड़ला-सहारा डायरी केस हमेशा के लिए दफ़न हो जाए, ये सवाल पूछे जाने बेहद ज़रूरी हैं

वह समय आ चुका है जब सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को गंभीरता से विचार-विमर्श करके इन दस्तावेजों की विस्तृत जांच के लिए कोई रास्ता निकालने के बारे में सोचना चाहिए.

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