भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग को जुलाई 2019 में वित्त मंत्रालय से बिजली मंत्रालय में स्थानातंरित किया गया था, जिसके बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था और उन्हें 31 अक्टूबर 2019 को कार्यमुक्त कर दिया गया.
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग का कहना है कि कर राजस्व के नजरिए से 2019-20 एक बुरा वित्त वर्ष साबित होने जा रहा है.
अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत को विनिर्माण क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनना चाहिए. केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से बुनियादी ढांचे पर खर्च आर्थिक वृद्धि के लिए अहम है. वैश्विक आर्थिक सुस्ती को दूर करने के लिए सभी विकसित और उभरती अर्थव्यस्थाओं द्वारा समन्वित और समयबद्ध तरीके से कदम उठाने की आवश्यकता है.
पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सरकार को 72 पेज का एक नोट लिखा है, जिसमें उन्होंने दो हज़ार रुपये के नोट को प्रचलन से बाहर करने, सरकारी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण ख़त्म करने और निजीकरण को बढ़ावा देने समेत कई सुझाव दिए हैं.
देश की अर्थव्यवस्था को लेकर अपने बयान की आलोचना होने पर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मुझे दुख है कि मेरे बयान के एक हिस्से को संदर्भों से काटकर दिखाया गया. एक संवेदनशील व्यक्ति होने के नाते मैं अपना बयान वापस लेता हूं.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि हर किसी ने आर्थिक वृद्धि का जो अनुमान जताया था, वह 5.5 प्रतिशत से कम नहीं था.
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि पिछली तिमाही में जीडीपी केवल 5 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो इस ओर इशारा करती है कि हम एक लंबी मंदी के दौर में हैं. भारत में ज्यादा तेजी से वृद्धि करने की क्षमता है, लेकिन मोदी सरकार के चौतरफा कुप्रबंधन के चलते अर्थव्यवस्था में मंदी छा गई है.
इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर इतनी कम थी. उस समय ये दर 4.9 फीसदी पर थी.
बीते बुधवार को जारी एक आदेश के तहत सुभाष चंद्र गर्ग को बिजली सचिव बना दिया गया. बिजली मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की तुलना में हल्का विभाग माना जाता है.
बजट से पहले वित्त मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 47 के उद्देश्य को सफल बनाने के लिए राज्य ने शराबबंदी लागू की थी. इसके चलते राज्य को जो नुकसान होता है, उसकी भरपाई केंद्र सरकार करे.
वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5.8 प्रतिशत रही जो चीन की जनवरी-मार्च 2019 को समाप्त तिमाही में 6.4 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले कम है. राष्ट्रीय आय पर सीएसओ के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में पूरे साल के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर भी घटकर पांच साल के न्यूनतम स्तर 6.8 प्रतिशत रही है.
वित्त मंत्रालय में आर्थिक विभाग के सचिव ने कहा कि मीडिया में ग़लत जानकारी वाली तमाम अटकलबाज़ियां जारी हैं. सरकार का राजकोषीय हिसाब-किताब बिल्कुल सही चल रहा है.