आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई दिल्ली पुलिस की बर्बर कार्रवाई और जामिया के छात्रों के समर्थन में फ़ैज अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' को सामूहिक रूप से गाए जाने पर फैकल्टी के एक सदस्य द्वारा आपत्ति दर्ज करवाई गई थी.
जो लोग ‘हम देखेंगे’ को हिंदू विरोधी कह रहे हैं, वो ईश्वर की पूजा करने वाले 'बुत-परस्त' नहीं, सियासत को पूजने वाले ‘बुत-परस्त’ हैं.
वीडियो: आईआईटी कानपुर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों द्वारा मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की नज़्म 'हम देखेंगे' को गाए जाने पर एक फैकल्टी मेंबर ने इसे 'हिंदू विरोधी' बताया और इसकी दो पंक्तियों पर आपत्ति जताई है. इस नज़्म का अर्थ बता रही हैं रेडियो मिर्ची की आरजे सायेमा.
17 दिसंबर को आईआईटी कानपुर में जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई पुलिस कार्रवाई के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण मार्च में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की 'हम देखेंगे' नज़्म गाई गई थी. एक फैकल्टी मेंबर द्वारा इसे हिंदू विरोधी बताते हुए नज़्म के 'बुत उठवाए जाएंगे' और 'नाम रहेगा अल्लाह का' वाले हिस्से पर आपत्ति उठाई है.