सरकार का टीका उत्सव मनाना जल्दबाज़ी, 100 करोड़ का लक्ष्य बहुत पहले पा लेना चाहिए था: टिस प्रोफेसर

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) के प्रोफेसर आर. रामकुमार ने कोविड-19 टीके का 100 करोड़ डोज़ के लक्ष्य प्राप्ति को ‘भारतीय विज्ञान की जीत’ बताते हुए प्रधानमंत्री के ट्वीट की भी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि देश में 88 फ़ीसदी टीका कोविशील्ड का लगाया गया है, जो कि एक ब्रिटिश वैक्सीन है. टीकाकरण की धीमी रफ़्तार और टीके की कमी के चलते इस साल के आख़िर तक सभी वयस्कों को दोनों डोज़ लगाने का सरकार का लक्ष्य भी

कोविड-19 के 100 करोड़ डोज़ पर कांग्रेस ने कहा, प्रधानमंत्री ने गलत जानकारियां दीं, देश से माफ़ी मांगें

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सवाल किया कि जब देश की 50 फ़ीसदी आबादी को कोविड का एक भी टीका नहीं लगा और सरकार की अक्षमता के कारण लाखों लोगों की जान चली गई तो फिर किस बात का जश्न मनाया जा रहा है? उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत दुनिया का पहला देश बना, जहां टीकों की 100 करोड़ ख़ुराक दी गई है. जबकि 16 सितंबर, 2021 तक चीन में 200 करोड़ से अधिक खुराकें

100 करोड़ टीकों का जश्न, पर कोविड-19 से हुईं मौतों की ज़िम्मेदारी किसकी?

वीडियो: बीते 21 अक्टूबर को केंद्र सरकार की ओर से घोषणा की गई है कि देश में कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ लग रहे टीकाकरण अभियान के तहत लोगों को 100 करोड़ डोज़ दे दिए गए हैं, लेकिन अब तक इस महामारी से हुईं मौतों की ज़िम्मेदारी किसी ने नहीं ली है. इस मुद्दे पर टिस के प्रोफेसर रामकुमार, जेएनयू के राजीव दासगुप्ता और द वायर के अजॉय आशीर्वाद से आरफ़ा ख़ानम शेरवानी ने बातचीत की.