होगा कोई ऐसा भी कि ‘ग़ालिब’ को न जाने… ग़ालिब की संवेदनाओं में ताउम्र बेबसी झलकती रहती थी. उन्हें लगता था कि उनकी प्रतिभा को समाज ने कभी वाजिब हक़ नहीं दिया.27/12/2017