चार दशक पहले केशवानंद भारती ने केरल भूमि सुधार कानून को चुनौती दी थी, जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के मूल ढांचे का सिद्धांत दिया था. 13 जजों की पीठ ने 7-6 की बहुमत से कहा था कि संसद के पास संविधान में संशोधन की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूलभूत ढांचे को नहीं बदल सकती है.