अगर आधार बनाने वाली एजेंसी यूआईडीएआई इस पर सहमति जता देती है तो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और आधार अधिनियम, 2016 में संशोधन के बिना ही वोटर कार्ड के साथ आधार को लिंक करने का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
तीन जनवरी 2018 को द ट्रिब्यून अख़बार में प्रकाशित पत्रकार रचना खेड़ा की रिपोर्ट में बताया गया था कि पेटीएम के ज़रिये सिर्फ़ 500 रुपये का भुगतान करने पर दस मिनट के भीतर एक एजेंट ने उन्हें लॉग-इन आईडी और पासवर्ड दिया, जिससे फोटो, फोन नंबर और ईमेल सहित किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी.
सितंबर 2018 में केंद्र सरकार की आधार योजना को लेकर दिए अपने फ़ैसले की समीक्षा के अनुरोध वाली याचिकाओं को बहुमत से ख़ारिज करते हुए पीठ ने कहा कि इसकी ज़रूरत नहीं है.
इस विधेयक में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिए आधार को स्वैच्छिक बनाने का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा निजी संस्थाओं द्वारा आधार डेटा का दुरुपयोग करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और जेल का प्रावधान रखा गया है.
हैदराबाद की आईटी ग्रिड कंपनी पर 'सेवा मित्र' ऐप के ज़रिये अवैध रूप से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 7.8 करोड़ आधार धारकों का डेटा इकट्ठा करने का आरोप है. इस ऐप को कथित तौर पर टीडीपी द्वारा इस्तेमाल किया जाता था. यूआईडीएआई की शिकायत के बाद एसआईटी करेगी जांच.