कोविड-19 लॉकडाउन में देश में भुखमरी की स्थिति देखने के बाद इसे नकारना अमानवीय है. वैश्विक भुखमरी सूचकांक ने भारत की दुर्दशा बताई, तो केंद्र सरकार ने रिपोर्ट को ही ख़ारिज कर दिया. सवाल उठता है कि मोदी सरकार ने पिछले आठ सालों में भुखमरी और कुपोषण कम करने के लिए क्या किया है.
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि बच्चों और स्तनपान करा रहीं माताओं को भोजन एवं स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए निर्देश दिए जाएं, क्योंकि लॉकडाउन के चलते पूरी आंगनवाड़ी व्यवस्था बंद पड़ी हुई है.