लल्लू सिंह और ज्योति मिर्धा जैसे नेता, जो संविधान बदलने की मांग करते थे, वे अपनी-अपनी सीटों से हार गए हैं.
ग्राउंड रिपोर्ट: 2020 में दंगों की चपेट में रहे उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के मतदाता बंटे हुए हैं. जहां एक तबका भाजपा का परंपरागत मतदाता है, वहीं कई लोग सांप्रदायिक राजनीति से इतर स्थानीय मुद्दों पर बात कर रहे हैं. यहां भाजपा के मनोज तिवारी और 'इंडिया' गठबंधन के कन्हैया कुमार के बीच मुक़ाबला है.
राष्ट्रीय राजधानी में भले ही कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ हैं, लेकिन कई संसदीय क्षेत्रों के दौरे के बाद सामने आया कि जनता अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी को ही भाजपा के समक्ष प्रमुख चुनौती के तौर पर देखती है. दिल्ली में 25 मई को मतदान होना है.
वीडियो: भाजपा को बड़ा झटका देते हुए बीते 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले पर सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के कुलदीप कुमार को शहर के नगर निगम का वैध रूप से निर्वाचित मेयर घोषित कर दिया. इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी पर मत-पत्रों में गड़बड़ी करने का आरोप लगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव के पीठासीन अधिकारी और भाजपा के चंडीगढ़ अल्पसंख्यक सेल के पूर्व महासचिव अनिल मसीह के ख़िलाफ़ जांच का आदेश दिया, साथ ही कहा कि उन्होंने शीर्ष अदालत में झूठ बोला था. बीते 30 जनवरी को मसीह ने आठ मत-पत्रों को अवैध घोषित कर दिया था और जिससे अब इस्तीफ़ा दे चुके भाजपा से मेयर मनोज सोनकर की जीत हो गई थी.
वोटों में गड़बड़ी के आरोपों के बीच भाजपा के मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत दर्ज की थी. हालांकि मामले की सुनवाई से एक दिन पहने उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. अब चुनाव के पीठासीन अधिकारी ने मत-पत्रों पर निशान बनाने की बात स्वीकार की, जिसे बाद में उन्होंने अवैध घोषित किया था. सीजेआई ने कहा कि उन पर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए.
पिछले महीने मेयर पद पर भाजपा के मनोज सोनकर का चुनाव पीठासीन अधिकारी द्वारा वोट में गड़बड़ी के आरोपों के बीच हुआ था. 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई होनी थी. इधर आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों के भाजपा में शामिल होने से उसकी कुल संख्या बढ़कर 19 हो गई है, जबकि आप-कांग्रेस गठबंधन के सिर्फ़ 17 सदस्य रह गए हैं.