मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि कई अदालतों में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं. वे जर्जर इमारतों में काम कर रही हैं. सिर्फ़ पांच प्रतिशत अदालत परिसरों में ही मूलभूत चिकित्सा सुविधाएं हैं. वहीं 26 प्रतिशत अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए अलग शौचालय नहीं हैं और 16 प्रतिशत में पुरुषों के लिए शौचालय नहीं हैं. उन्होंने कहा कि केवल 54 प्रतिशत अदालत परिसरों में स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था है.