बीते 22 दिसंबर को केंद्र की मोदी सरकार ने संसद को बताया था कि भारत और श्रीलंका के बीच के क्षेत्र की सैटेलाइट तस्वीर, जहां पौराणिक राम सेतु के अस्तित्व की बात कही जाती है, में द्वीप और चूना पत्थर वाले उथले किनारे नज़र आते हैं, लेकिन उन्हें ‘निर्णायक तौर पर’ पुल के अवशेष नहीं कहा जा सकता है.
राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में अंतरिक्ष राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि सैटेलाइट तस्वीरों में द्वीप और चूना पत्थर वाले उथले किनारे नज़र आते हैं लेकिन उन्हें 'निर्णायक तौर पर' पुल के अवशेष नहीं कहा जा सकता.
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यूपीए-1 के कार्यकाल की सेतुसमुद्रम नहर परियोजना के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका दायर कर कथित राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर स्थल घोषित करने की मांग की थी. अदालत ने साल 2007 में परियोजना के लिए काम पर रोक लगा दी थी.